• img-fluid

    India-China Border: अब भारत का बॉर्डर पार करना चीन के लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है, जानिए कैसे

  • October 19, 2021

    ईटानगर: भारतीय सेना (Indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में पहली बार एक एविएशन ब्रिगेड को तैनात कर दिया है. इस ब्रिगेड में अटैक हेलीकॉप्टर (Attack Helicopter) हैं, तेजी से सैनिकों को लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) तक पहुंचाने के लिए चिनूक (Chinook) और मि 17 जैसे बड़े परिवहन हेलीकॉप्टर हैं और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण निगरानी के लिए ड्रोन (Drone) हैं.

    अरुणाचल प्रदेश में हेलीकॉप्टर और उसके पायलट की परीक्षा
    अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़, घाटियों और घने जंगलों के इलाकों में सबसे ज्यादा काम हेलीकॉप्टर आते हैं. यहां हेलीकॉप्टर्स सैनिकों को लाने ले जाने, रसद और गोला-बारूद पहुंचाने और सबसे ज्यादा बीमार या घायल सैनिकों को मदद करने के काम आते हैं. यहां मौसम बहुत बड़ी समस्या है और खराब मौसम में घाटियों को पार करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए यहां पर हेलीकॉप्टर और उसके पायलट दोनों की ही परीक्षा होती है.

    अटैक हेलीकॉप्टर निभा सकते हैं अहम रोल
    तेजी से हमला करने के लिए अटैक हेलीकॉप्टर काम आते हैं. असम के मिसामारी में भारतीय सेना का सबसे बड़ा एविएशन बेस है जहां से दिन-रात ये सभी लाइन ऑफ कंट्रोल की तरफ उड़ान भरते रहते हैं.

    स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर रुद्र किया गया तैनात
    आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि यहां मोर्चा संभालने के लिए स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर रुद्र तैनात है जो दुश्मन के टैंक या किसी बड़े फौजी ठिकाने को तबाह करने के लिए बहुत कारगर है. जैसे-जैसे आप अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की तरफ बढ़ते हैं समझ में आने लगता है कि यहां की चुनौतियां क्या हैं? एलएसी के पास सबसे बड़ा शहर तवांग है जिसपर चीन की हमेशा से नजर है. 1962 के युद्ध में चीन ने तवांग पर कब्जा कर लिया था इसलिए उसके बाद से भारतीय सेना ने इस पूरे इलाके में अपने आपको लगातार मजबूत किया है.


    जैसे-जैसे अरुणाचल प्रदेश में ऊंचाई की तरफ बढ़ना शुरू करते हैं पता लगता है कि यहां की चुनौतियां क्या हैं? मानसून में तेज बारिश और सर्दियों में बर्फबारी सड़कों को चालू रखने में सबसे बड़ी मुश्किल पैदा करते हैं. पहले तवांग तक पहुंचने का केवल एक रास्ता था लेकिन कुछ साल पहले तवांग के लिए एक और रास्ता तैयार कर लिया गया है. तीसरे रास्ते पर काम चल रहा है. ज्यादा रास्ते होने से कभी भी सप्लाई लाइन कटने का खतरा नहीं होता है. लेकिन सबसे ज्यादा कारगर हैं टनल्स जो ऊंचे दर्रों को पार करने का समय कम करती हैं और कोहरे या बारिश के दौरान भी सड़कें चालू रहती हैं.

    भारतीय सेना की एक डिवीजन के हेडक्वार्टर में सैनिक पहाड़ की लड़ाई के गुर सीख रहे हैं. एक भारतीय डिवीजन के हेडक्वार्टर में ही कोर एरोस्पेस कमांड सेंटर है जहां इस इलाके के लिए बनाई गई पहली एविएशन ब्रिगेड दिन-रात दुश्मन और अपने दोनों ही देश के सैनिकों पर नजर रखती है. यहां से किसी भी अटैक हेलीकॉप्टर, सैनिकों को ले जा रहे हेलीकॉप्टर और ड्रोन की उड़ान को नियंत्रित किया जाता है. ड्रोन या रोमटली पायलटेड एयरक्राफ्ट आसमान से हर तरफ नजर रखते हैं और लगातार इस कंट्रोल रूम तक तस्वीरें भेजते रहते हैं.

    भारतीय सेना इस समय हेरोन मार्क 1 ड्रोन का इस्तेमाल करती है जो 200-250 किलोमीटर दूर तक नजर रखता है. योजना ज्यादा बेहतर ड्रोन शामिल करने की है और जल्द ही यहां ऐसे ड्रोन तैनात होंगे जो सैटेलाइट के जरिए नियंत्रित किए जाएंगे. ये ज्यादा दूर तक नजर रख पाएंगे और ज्यादा सटीक खबर भी दे पाएंगे.

    Share:

    पाकिस्तान का दावा, भारतीय पनडुब्‍बी हमारे जल क्षेत्र में कर रही थी घुसपैठ

    Tue Oct 19 , 2021
    कराची। पाकिस्‍तानी नौसेना (Pakistani Navy) ने पुष्टि की है उनके जलक्षेत्र (watershed) में घुसपैठ (intrusion) की कोशिश कर रही भारत (India) की एक पनडुब्‍बी (submarine) की पहचान की और उसका रास्‍ता रोक दिया। पाक नौसेना ने एक वीडियो (Video) जारी किया और कहा कि अरब सागर में हुई यह घटना 16 अक्‍टूबर की है जिसमें […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शुक्रवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved