इंदौर (Indore)। तिथि की घट-बढ़ के चलते कई त्योहार दो-दो दिन मनाना पड़ते हैं और इसको लेकर आम जनता में भी भ्रम की स्थिति रहती है। मगर इस बार साल के सबसे बड़े त्योहार दीपावली को लेकर भी दो तारीखों का भ्रम चल रहा है। पहले इंदौर में भी 1 नवम्बर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया गया। मगर अब सभी व्यापारी एसोसिएशन ने भी तय किया है कि देशभर में ही दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। लिहाजा इंदौर में भी इसी दिन दीपावली मने। काशी, उज्जैन सहित अन्य क्षेत्रों के विद्वानों ने भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने की सलाह दी है और बाबा महाकाल के मंदिर में भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनेगी।
दरअसल, दीपावली ऐसा त्योहार नहीं है जिसे अलग-अलग तारीखों पर मनाया जा सके, क्योंकि इसमें बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। छोटे से बड़ा व्यापारी भी सालभर दीपावली का इंतजार करता है और एक आम आदमी भी अपनी हैसियत से अधिक खर्च दीपावली पर ही करता है। महाकाल मंदिर में भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनेगी और भस्म आरती में रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी। मंदिर के उत्सव का निर्धारण ग्वालियर पंचांग के आधार पर किया जाता है, जिसके चलते 31 अक्टूबर को ही रूप चौदस के साथ दीपावली मनाने का निर्णय लिया है और 1 नवम्बर को गोवर्धन पूजा तथा 2 नवम्बर को भाई दूज रहेगी।
इंदौर के भी सभी व्यापारी संगठनों ने एकमत होकर 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। दरअसल, पहले सियागंज व्यापारी एसोसिएशन ने विद्वत परिषद् और ज्योतिष परिषद् की राय पर 1 नवम्बर की घोषणा कर दी थी। उसके बाद सराफा बाजार ने 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया, तो क्लॉथ मार्केट भी उसमें शामिल हो गया। लिहाजा सियागंज व्यापारियों को भी अब 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय लेना पड़ा। इस बारे में पिछले दिनों हुई बैठक के आधार पर जब खजराना गणेश मंदिर के मुख्य पुजारी अशोक भट्ट से पूछा गया तो उन्होंने भी कहा कि देशभर में अधिकांश जगह 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाए जाने की सूचना मिल रही है और अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर विद्वत और ज्योतिष परिषद् की बैठक बुलाई जा सकती है। हालांकि मप्र वैश्य महासम्मेलन ने भी अब 31 अक्टूबर की तिथि को ही सर्वानुमति से माना है और उस पर अपनी सहमति भी दे दी है।
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