रायपुर। कोरोना के दिनों दिन बढ़ते संक्रमण के बीच छत्तीसगढ़ में एक आदेश ने लोगों को और परेशान कर दिया है। आदेश के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से होती है तो उसके परिजनों को ढाई हजार रुपये देने होंगे। ये रुपये शव के स्टोरेज और कैरिज के नाम पर वसूले जा रहे हैं। इसके लिए बाकायदा स्वास्थ्य विभाग के वर सचिव ने आदेश भी जारी कर दिया है। इस आदेश के साथ ही स्थानीय लोगों के साथ ही बीजेपी ने भी विरोध दर्ज करवाया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ बीजेपी ने राजभवन में आपत्ती दर्ज करवाई है।
इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने सोमवार को एक आदेश जारी कर निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए नई दरें निर्धारित कर दी थीं। विभाग की ओर से इस आदेश के अनुसार एनएबीएच मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों में मॉडरेट स्थिति वाले मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था। इसमें सपोर्टिव केयर आइसोलेशन बेड के साथ ऑक्सीजन एवं पीपीई किट का खर्च भी शामिल है।
गौरतलब है कि निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर मनमाना वसूली कि शिकायतों के बीच शासन ने कोविड मरीजों के इलाज के लिए दरें तय की हैं। निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 11 अप्रैल को अस्पताल संचालकों और चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की नए दरें निर्धारित करने के निर्देश दिए थे। इसी के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण से पीडि़त मरीजों के लिए नई दरों को लागू कर दिया गया। नई दरों के अनुसार निजी अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रुपये का शुल्क निर्धारित कर दिया है। इसमें पीपीई किट, अइसोलेशन बेड का खर्च भी शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी नई दरों के मुताबिक गंभीर स्थिति वाले मरीजों के उपचार के लिए रोजाना 12 हजार रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है। इसमें बगैर वेंटिलेटर के आईसीयू सुविधा शामिल है। अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए 17 हजार रुपये प्रतिदिन की दर निर्धारित की गई है। इसमें वेंटिलेटर के साथ आईसीयू सुविधा को शामिल किया गया। इसके साथ एन.ए.बी.एच. से गैर मान्यता प्राप्त निजी अस्पतालों के लिए मॉडरेट, गंभीर और अति गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्रतिदिन 6200 रुपये, दस हजार रुपये एवं 14 हजार रुपये का शुल्क निर्धारित कर दिया गया है। इस फैसले को कोरोना संक्रमण के बीच मरीजों की बढ़ती संख्या के दौरान कुछ राहत भरा कदम माना जा रहा है। इससे निजी अस्पतालों में मरीजों से अवैध तरीके से कोविड 19 के उपचार के नाम पर वसूली को रोका जा सकेगा।
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