• img-fluid

    अब सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बच्चों की भी हार्ट सर्जरी शुरू

  • February 28, 2024

    शहर में पहली बार सरकारी अस्पताल में हार्ट के 100 से ज्यादा ऑपरेशन

    कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सजऱ्री विभाग की 11 माह में क़र्इं उपलब्धियां

    इंदौर। पहली बार शहर के किसी सरकारी अस्पताल (government hospital) में हार्ट की सर्जरी के अलावा अन्य जटिल ऑपरेशन (operation) भी हो रहे हैं। कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सजऱ्री विभाग के रिकार्ड के अनुसार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सिर्फ 11 महीनों में नई तकनीक के जरिये 100 से ज्यादा हार्ट सर्जरी की जा चुकी है। अब इस विभाग की टीम जल्दी ही हृदय रोग से पीडि़त बच्चों के हार्ट सर्जरी शुरू करने जा रही है।


    सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ओपन हार्ट सर्जरी की शुरुआत साल 2023 के अप्रैल माह में शुरू हुई थी। यह पहला मौका था, जब किसी सरकारी अस्पताल में हार्ट की ओपन सर्जरी की शुरुआत हुई थी। इसके पहले तक हृदय रोग से पीडि़त मरीजों को निजी अस्पतालों के भरोसे रहना पड़ता था । डॉक्टर सुमित प्रताप सिंह के अनुसार यह सब कुछ सम्भव कार्डियोथोरेसिक वैस्कुलर सजऱ्री विभाग की टीम में शामिल डॉक्टर हेमंत यादव, डॉक्टर पीयूष गुप्ता, डॉक्टर अंकुर गोयल, डॉक्टर प्रमेश जैन की वजह से हो पाया है। अब जल्दी ही हम छोटे चीरे के जरिये छोटे बच्चों के हार्ट सम्बन्धित ऑपरेशन शुरू करने जा रहे हैं।

    यह उपलब्धियां है सीटीवीएस विभाग की
    सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीटीवीएस विभाग ने पिछले ग्यारह माह में क़ई सफलताएं हासिल की है। 11 माह में 100 से ज्यादा हार्ट सर्जरी सहित क़ई बायपास सर्जरी हार्ट वाल्व ऑपरेशन किए जा चुके हैं। इसके अलावा छाती की नसों और हाथ की नसों के जरिये तार बायपास नई तकनीक का इस्तेमाल करके बायपास सर्जरी की गई है। फेफड़ों के 200 से ज्यादा इसके अलावा पैरों की धमनियों के 100 अधिक ऑपरेशन किए जा चुके हैं। इस सफलता में मेडिकल कॉलेज के डीन और अधीक्षक सहित पैथालॉजी विभाग आईसीयू टीम का सराहनीय योगदान है।

    पारंपारिक हृदय सर्जरी के विपरीत, छाती की साइड या किनारों से हृदय तक पहुंचा जा सकता है, इसलिए उरोस्थि या ब्रेस्टबोन को अलग नहीं किया जाता है। यह शल्य चिकित्सा के बाद के दर्द को कम करते हुए काम करता है और श्वांस पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। आप अपने सामान्य जीवन में वापस लौट सकते हैं और अपने कार्डियोलॉजिस्ट की उचित सलाह पर ड्राइविंग और अन्य गतिविधियों को तेज़ी से कर सकते हैं। रक्त हानि और रक्त संक्रमण के जोखिम को कम करता है, इसलिए रक्त संचार की कम आवश्यकता होती है। चूंकि चीरा केवल 2 से 3 इंच तक का होता है, इसलिए घाव जल्दी भर जाता है और दिखाई नहीं देता। पारंपरिक तकनीक की तुलना में अस्पताल में 2 से 3 दिन तक रुकना। इसे एक सुरक्षित और प्रभावी तकनीक माना जाता है, क्योंकि सभी जगहों के ब्लॉक को बायपास किया जा सकता है।

    Share:

    प्लाटों पर तनी झुग्गियां हटाने पहुंचे निगम अमले के साथ मारपीट, पुलिस को भी नहीं बख्शा

    Wed Feb 28 , 2024
    प्रोफेसर कॉलोनी में खाली प्लाटों पर झुग्गीवासियों का कब्जा हटाने को लेकर हंगामा निगम की महिला बाउंसर को नारियल फेंक कर मारा, हंगामा करते पकड़े युवक को भीड़ ने पुलिस की गाड़ी से छुडाया इंदौर। आज सुबह प्रशासन, नगर निगम और पुलिस की टीम (Municipal corporation and police team) ने प्रोफेसर कॉलोनी के एक निजी […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    मंगलवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved