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    अब हैंडराइटिंग एक्सपर्ट करेंगे डायरियों और दस्तावेजों की जांच

  • July 11, 2023

    मामला चम्पू सहित भूमाफियाओं द्वारा भूखंड देने से इनकार करने का, हाईकोर्ट की कमेटी ने लिक्विडेटर को भी जानकारी देने के दिए निर्देश

    इंदौर। हाईकोर्ट (High Court) द्वारा गठित कमेटी लगातार भूमाफियाओं से पूछताछ कर रही है, ताकि पीडि़तों को भूखंडों के साथ ब्याज सहित राशि भी दिलवाई जा सके। लेकिन भूमाफिया अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे और कमेटी को ही गुमराह करने में जुटे हैं। लिहाजा अभी कमेटी ने चम्पू सहित अन्य को कड़ी फटकार भी लगाई और लिक्विडेटर को जानकारी चाहिए वह 48 घंटे में उपलब्ध कराने के साथ ही हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को बुलाकर डायरियों और दस्तावेजों की जांच भी कराई जा रही है, क्योंकि इन भूमाफियाओं ने कह दिया था कि डायरियों पर हुए सौदों पर उन्हें जानकारी नहीं है। लिहाजा हैंडराइटिंग एक्सपर्ट (handwriting expert) ही बताएंगे कि इन डायरियों और दस्तावेजों पर किसके हस्ताक्षर हैं। पीडि़तों को 12 फीसदी ब्याज दर के साथ राशि लौटाने का निर्णय भी कमेटी ने लिया था।


    सेेटेलाइट हिल्स, कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स (Satellite Hills, Kalindi Gold, Phoenix) के पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए हाईकोर्ट ने कमेटी का गठन कर रखा है, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के ही सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सौंपी गई। वहीं अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर भी इसमें शामिल हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने चम्पू, चिराग, धवन सहित अन्य भूमाफियाओं को सशर्त जमानत दी है, ताकि वे पीडि़तों की समस्याओं का निराकरण कर सकें, जिसके चलते हाईकोर्ट ने भी कमेटी गठित कर रखी है, लेकिन ये भूमाफिया इतने शातिर हैं कि पीडि़तों को चक्कर लगवाने के साथ कमेटी को भी गुमराह करने से बाज नहीं आते। वहीं पिछले दिनों यह भी पता चला कि पीडि़तों को तो भूखंड नहीं दिए जा रहे हैं और दूसरी तरफ जमीनों को बेचने और भूखंडों को काटने में जुटे हैं, जिसके चलते चम्पू पुत्र के खिलाफ भी एफआईआर (FIR) दर्ज हुई है। अभी कमेटी के समक्ष लिक्विडेटर ने कहा कि फिनिक्स का मामला निपटाने के लिए चम्पू सहित अन्य द्वारा कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है। खातों और दस्तावेजों को भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इस पर कमेटी ने दो दिन में लिक्विडेटर को जो जानकारी चाहिए उसे उपलब्ध कराने के निर्देश चम्पू को दिए हैं। अन्यथा कमेटी अपनी रिपोर्ट में यह स्पष्ट करेगी कि पीडि़तों का निराकरण करने में इन भूमाफियाओं की कोई रुचि नहीं है। लिहाजा इनकी जमानतें निरस्त कर फिर जेल भेजा जाए। लिक्विडेटर का भी कहना है कि किस खाते में किस भूखंड के एवज में इतनी राशि मिली, जब तक उसका विवरण नहीं मिलता, तब तक पीडि़तों की रजिस्ट्री मंजूर नहीं की जा सकती। वहीं डायरियों और रसीदों के मामले में भी इन भूमाफियाओं ने पलटी मार ली और उन्हें फर्जी बता दिया, जिसके चलते अब कमेटी हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से इन डायरियों और दस्तावेजों की जांच कराएगी, ताकि यह रिपोर्ट मिल सके कि इनमें किए गए हस्ताक्षर सही और किसके हैं। दरअसल इंदौर में तमाम कालोनाइजर डायरियों पर ही भूखंड बेचते हैं और ली जाने वाली राशि भी लाख की बजाय हजार या सैंकड़े में ही लिखी जाती है। हालांकि कोई पलटता भी नहीं है। मगर इन भूमाफियाओं ने अपने द्वारा बनाई गई डायरियों और रसीदों को भी सही मानने से इनकार कर दिया। भूखंड ना मिलने पर पीडि़तों को 12 फीसदी ब्याज के साथ उनकी जमा राशि लौटाने को भी कमेटी ने कहा है। हालांकि पीडि़त भूखंड ही चाहते हैं।

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