बिहार में तलाश शुरू की, नई जगह पहुंचकर खुश दिखी
इंदौर। पांच साल पहले पाकिस्तान से आई गीता काफी सालों बाद खुश दिखाई दी। वह अपनी पुरानी संस्था को छोड़कर विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसायटी के आश्रम में पहुंची। यहां वह हंस रही है, घूम रही है, नए दोस्त बना रही है।
आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि जब से गीता हमारे पास आई है, हम उसका खास ध्यान रख रहे हैं। आते ही हमने उसका मेडिकल कराया। हम उसे एक फार्म हाउस लेकर गए, जहां उसने बगीचे के अमरूद व आम तोड़े। उसने एक डॉग से दोस्ती कर ली है। हमारे पास मिठ्ठू है, उसके साथ खेलती है। पिछले पांच सालों से गीता को कभी भी इतना हंसते-खेलते हुए नहीं देखा था।
गीता ने बिहार का नक्शा बताया, हमने लिखी चिठ्ठी
सांकेतिक भाषा के जानकार पुरोहित ने बताया कि गीता भी अपने माता-पिता को ढूंढने के लिए प्रयास कर रही है। उसने हमें बिहार का नक्शा बताया है, जिसके बाद हमने बिहार सरकार को चिठ्ठी लिखी है कि हमारी मदद करें। स्थानीय अधिकारियों ने भी हमें सकारात्मक जवाब भेजा है और वे पूरे राज्य के कलेक्टरों से जानकारी मंगवा रहे हैं कि पिछले 20 सालों में किन लोगों ने अपने मूक-बधिर बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई है।
सीबीआर तकनीक से गीता को करेंगे नार्मल
इंदौर में पहले जिस संस्था में वह थी वहां कैद होकर रह गई थी। उसमें एक सुपिरियटी कॉम्प्लेक्स आ गया था। वह अपने आप को बजरंगी भाई जान फिल्म की मुन्नी समझने लगी थी और चाहती थी कि सलमान खान उसके माता-पिता को खोजकर लाएं, लेकिन यह संभव नहीं है। हम यही समझा रहे हैं। उसे सीबीआर (कम्युनिटी बेस्ड रिलेशनशिप) (जिसमें व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिले) मैथड का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम प्रतिदिन उसे उसके जैसे बच्चों से वीडियो कॉलिंग करवा रहे हैं। उसकी काउंसलिंग कर रहे हैं।
गीता जैसे कई और भी हैं बच्चे
ज्ञानेंद्र व मोनिका पुरोहित ने बताया कि हमारा उद्देश्य गीता के साथ न्याय करना है। पिछले पांच सालों में इस विषय पर कोई काम नहीं हुआ। हम अनुदान लेने के लिए उसे शरण नहीं दे रहे हैं। वह मर्जी से आई है। हमें अनुदान नहीं चाहिए। गीता जैसे कई अन्य बच्चे हैं, जो अपने माता-पिता को खोज रहे हैं। कई हमारे संपर्क में हैं। हम उन्हें भी गीता के समान पूरी मदद करेंगे।
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