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मप्र में अब पशुओं के इलाज के लिए भी मुफ्त मिलेगी एंबुलेंस

May 13, 2023

  • मुख्यमंत्री ने 406 एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखा कर किया रवाना

भोपाल। प्रदेश में अब पशुओं के लिए ऑन कॉल एंबुलेंस सेवा उपलब्ध रहेगी। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने प्रदेश को 406 पशु एंबुलेंस समर्पित कर दी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज वह दिन आ गया है जब एम्बुलेंस केवल इंसान के लिए ही नहीं गो-माता और अन्य पशुओं के इलाज के लिए भी उपलब्ध होगी। एम्बुलेंस में एक पशु चिकित्सक और सहायक उपलब्ध होंगे। आपात स्थिति में पशुओं के इलाज के लिए टोल फ्री नं. 1962 जारी किया गया है। बीमार पशु को अस्पताल तक ले जाना बड़ी समस्या होती थी। अब इन एम्बुलेंस के आने से पशु चिकित्सालय स्वयं पशुपालक के द्वार पर उपस्थित होगा। मुख्यमंत्री चौहान ने भोपाल के लाल परेड ग्राउंड पर गो-रक्षा संकल्प सम्मेलन का शुभारंभ किया और प्रदेश के शहरी क्षेत्रों एवं सभी विकासखंड के लिए 406 पशु चिकित्सा एम्बुलेंस को हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया।

गो-वंश के अवैध परिवहन में लिप्त वाहन राजसात होंगे
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में गो-वंश की हत्या पर प्रतिबंध लगाया गया है। गो-हत्या करने वाले को 7 साल और अवैध परिवहन पर कारावास का प्रावधान है। गो-वंश के अवैध परिवहन में लिप्त वाहनों को राजसात किया जाएगा। प्राकृतिक खेती के लिए गाय आवश्यक है। गो-मूत्र औरगोबर से ही घनामृत और जीवामृत बनते हैं। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को गाय पालने के लिए 900 रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस माह 22 हजार किसानों को योजना की किस्त जारी की जाएगी। जनजातीय भाई-बहनों को गो-पालन के लिए गाय खरीदने पर 90 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। गोबर, गो-मूत्र सहित अन्य गो-उत्पादों के व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए भी राज्य सरकार प्रयासरत है। गाय के गोबर से सीएनजी बनाने के प्रोजेक्ट पर जबलपुर में कार्य जारी है। प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर गोवर्धन प्लांट स्थापित कर गोबर खरीदने की व्यवस्था की जाएगी, इससे सीएनजी निर्मित होगी।


गो-शालाओं में बने पेंट के उपयोग को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि गो-शालाओं में बनाए जाने वाले प्राकृतिक पेंट का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतस्तर के शासकीय भवनों में करने की नीति बनाई जाएगी। इससे गोबर और गो-मूत्र के व्यवसाय को प्रोत्साहन मिलेगा। प्रदेश में 8 गो-सदन और दो गो-वंश वन्य विहार विकसित किए जाएंगे। इनके संचालन का जिम्मा गो-सेवक संस्था को सौंपा जाएगा। पंजीकृत गो-शालाओं को बिजली के बिल की समस्या न आये और इससे गो-माता की सेवा में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो, इसके लिए उपयुक्त नीति बनाए जाएगी। गो-शालाओं में भूसे की पर्याप्त व्यवस्था के लिए राशि का पुननिर्धारण किया जाएगा।

जिलों में अपर कलेक्टर करेंगे गो-शालाओं का प्रबंधन
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में हर ग्राम पंचायत में गोशाला के बजाय बड़ी गो-शालाएँ विकसित करने पर भी राज्यशासन विचार कर रहा है। गो-शालाओं के सुचारू प्रबंधन के उद्देश्य से 4-5 ग्राम पंचायतों के लिए एक बड़ी गोशाला विकसित की जाएगी। प्राथमिक तौर परप्रदेश में कुछ स्थानों पर मॉडल के रूप में ऐसी गो-शालाएँ विकसित की जाएंगी। इन गो-शालाओं की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी कोई संस्था ले सकती हैऔर संस्था को राज्य शासन द्वारा वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। जिन गो-शालाओं के साथ जमीनें संलग्न हैं और उन जमीनों पर यदि अतिक्रमण है तो उन्हें तत्काल अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। गो-शालाओं को कांजी हाउस का दर्जा देने पर भी विचार भी किया जाएगा। गो-वंश की गणना भी की जाएगी। गो-शालाओं की समस्याओं के त्वरित समाधान और उनके बेहतर प्रबंधन के लिए जिला स्तर पर अपर कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

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