इंदौर। इलाज (Treatment) के चलते कैंसर मरीजों (Cancer Patients) में होने वाले साइड इफेक्ट (Side effect) और दर्द के दौरान उनकी केयर सपोर्टिंग (Care Supporting), यानी बेहतर देखभाल के लिए अब शहर में कैंसर लक्षण प्रबंधन पर हर साल अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप (Workshop) का आयोजन किया जाएगा। यह संकल्प शहर में विदेशी डाक्टर्स की मौजूदगी में कैंसर फाउंडेशन इंदौर ने लिया।
कैंसर फाउंडेशन इंदौर की 2 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप में इटली, यूएसए सहित कई बाहरी देशों के कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर्स के अलावा भारतीय आयुर्वेद डाक्टर्स ने भी कई अहम जानकारियां, अपने अनुभव और सुझाव एक-दूसरे से साझा किए। इस वर्कशॉप में आए विदेशी मेहमान और मेजबान डाक्टर्स ने कैंसर मरीजों के इलाज के दौरान लक्षण प्रबंधन विषय पर 2 दिन तक गहन चिंतन-मनन कर कहा कि इलाज के दौरान साइड इफेक्ट के चलते मरीज को होने वाले दर्द-तकलीफ से बचाने के लिए कई डाक्टर्स को एक-दूसरे से ही नहीं, मरीज के परिजनों से समन्वय कर, यानी मिलकर काम करना होगा।
लक्षण प्रबंधन ऐसे करें
केयर सपोर्टिंग, यानी बेहतर देखभाल के लिए कैंसर मरीज के इलाज के पहले शरीर के जिस पार्ट, यानी अंग में कैंसर हुआ है, उससे संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर सहित अन्य डॉक्टर्स की टीम इलाज शुरू करने के पहले मरीज और उसके परिजनों को बताएं कि इलाज के साइड इफेक्ट के क्या-क्या लक्षण होंगे और उसका निदान, यानी बचाव अथवा इलाज क्या है।
आयुर्वेद इलाज पर विशेष ध्यान दें
वर्कशॉप में चर्चा के दौरान कैंसर मरीजों को साइड इफेक्ट से बचाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा अपनाने और इसके बेहतर परिणामों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञ डाक्टर्स ने कहा कि यदि पहली स्टेज पर मरीज में कैंसर का पता चल जाए तो आयुर्वेद के इलाज के माध्यम से मरीज के 90 से 95 प्रतिशत तक ठीक होने संभावना बढ़ जाती है।
लेजरथैरेपी का ज्यादा इस्तेमाल करें
कैंसर फाउंडेशन के सीनियर डॉक्टर दिग्पाल धारकर ने बताया कि विदेशी डाक्टर्स का कहना था कि कैंसर के मरीजों के इलाज के लिए लेजरथैरेपी का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए। इससे मरीजों को दर्द-पीड़ा तो कम होती ही है, साथ ही अन्य थैरेपी की अपेक्षा इसके साइड इफेक्ट भी कम होते हैं।
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