भोपाल। देश में इलेक्ट्रिक कारों के प्रचलन को बढ़ाने की राह में सबसे बड़ी बाधा पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन की सुविधा का नहीं होना है। केंद्र सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए चरणबद्ध तरीके से आगे बढऩे की नीति को लागू कर दिया है। इसके तहत अगले पांच वर्षों के भीतर राज्यों की सभी राजधानी, बड़े शहरों, शहरों को जोडऩे वाले प्रमुख राजमार्गों व राष्ट्रीय राजमार्गों पर पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। उद्देश्य यह है कि शहरों में हर तीन वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में एक स्टेशन हो जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर 25 किलोमीटर पर इसकी सुविधा हो। 100 किमी के एरिया में कम से कम एक फास्ट चार्जिंग सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
हर किसी को स्टेशन लगाने की छूट
हर किसी को सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन लगाने की अनुमति प्रदान कर दी गई है और वह भी बगैर किसी लाइसेंस के। हां, इसके लिए उन्हें तकनीकी, सुरक्षा व सरकार की तरफ से तय दूसरे मानकों का पालन करना होगा। इस बारे में बिजली मंत्रालय, सड़क और राजमार्ग मंत्रालय सहित दूसरे संबंधित विभागों की तरफ से नियम जारी होंगे। इस तरह की सुविधा लगानी होगी कि हर तरह के वाहनों की चार्जिंग हो सके।
रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल का भी प्रस्ताव
नए नियमों के तहत इस बात की भी व्यवस्था गई है कि स्टेशन लगाने वालों को काफी कम कीमत पर जमीन मुहैया हो। रैवेन्यू शेयरिंग मॉडल का भी प्रस्ताव है यानी जिसकी जमीन पर स्टेशन लगेगा और जो लगा रहा है या जो कंपनियां आवश्यक सुविधा दे रही हैं उनके बीच राजस्व वितरण हो सके।
जमीन मुहैया कराने वाले को हर तीन महीने पर भुगतान
जमीन मुहैया कराने वाली एजेंसी को एक रुपए प्रति किलोवाट की दर से शुल्क का भुगतान होगा। भुगतान हर तीन महीने पर होगा। इस बारे में सभी संबंधित पक्षों के बीच 10 वर्षों का समझौता हो सकता है। इसके साथ ही केंद्र ने राज्यों की एजेंसियों को निर्देश दिया है कि मेट्रो शहरों में चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए आवेदन आने के सात दिनों के भीतर बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराए जाएं। नगर निगमों में 15 दिनों के भीतर और ग्रामीण इलाकों में एक महीने के भीतर बिजली कनेक्शन देने का निर्देश दिया गया है।
एक तरह का शुल्क वसूल सकेंगी कंपनियां
ग्राहकों से वसूले जाने वाले शुल्क के बारे में कहा गया है कि बिजली कंपनियां चार्जिंग स्टेशनों से एक ही शुल्क वसूलेंगी। यह शुल्क 31 मार्च, 2025 तक बिजली आपूर्ति का औसत शुल्क होगा। यानी सिर्फ लागत वसूली जाएगी। ग्राहकों से वसूले जाने वाले शुल्क के बारे में कहा गया है कि इसका निर्धारण राज्य सरकारें करेंगी। राज्य एक तरह से अधिकतम शुल्क तय करेंगी।
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