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अब Biscuits खाना पड़ेगा महंगा, FMCG कंपनियां बढ़ाने वाली हैं 10 फीसदी तक दाम

March 21, 2022

नई दिल्ली। महंगाई (Inflation) उपभोक्ताओं को लगातार परेशान कर रही हैं। लगातार बढ़ते दाम के कारण लोगों का बजट बिगड़ गया है, लेकिन आने वाले उपभोक्ताओं को अब दैनिक इस्तेमाल के उत्पादों के लिए अपनी जेब और अधिक ढीली करनी पड़ सकती है. गेहूं (wheat), पाम तेल (palm oil) और पैकेजिंग सामान (packaging goods) जैसे कमोडिटी के दामों में उछाल (Rise in prices of commodities) की वजह से एफएमसीजी कंपनियां (FMCG Companies) अपने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं।

इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) की वजह से भी एफएमसीजी कंपनियों को झटका लगा है. उनका मानना है कि इसके चलते गेहूं, खाद्य तेल और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आएगा. ऐसे में लागत का कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डालना जरूरी हो गया है. डाबर और पारले जैसी कंपनियों की स्थिति पर नजर है और वे महंगाई के दबाव से निपटने के लिए सोच-विचार कर कदम उठाएंगी. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और नेस्ले (Nestle) ने पिछले सप्ताह अपने खाद्य उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं।


15 फीसदी तक बढ़ सकती हैं कीमतें
पारले प्रोडक्ट्स (Parle Products) के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि हम उद्योग की ओर से कीमतों में 10 से 15 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव है। ऐसे में अभी तक कहना मुश्किल है कि कीमतों में कितनी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने बताया कि पाम तेल का दाम 180 रुपये लीटर तक चला गया था. अब यह 150 रुपये लीटर पर आ गया है. इसी तरह, कच्चे तेल का दाम 140 डॉलर प्रति बैरल पर जाने के बाद 100 डॉलर से नीचे आ गया है।

ज्यादा बढ़ी उत्पादन लागत
शाह का कहना है कि कीमतें अब भी पहले की तुलना में ऊंची हैं. पिछली बार एफएमसीजी कंपनियों ने पूरी तरह कमोडिटी कीमतों में वृद्धि का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला था. अब सभी 10-15 फीसदी वृद्धि की बात कर रहे हैं. हालांकि, उत्पादन की लागत कहीं अधिक बढ़ी है. उन्होंने कहा कि अभी पारले के पास पर्याप्त स्टॉक है. कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला एक या दो माह में लिया जाएगा।

उपभोक्ताओं ने घटाया कर्ज
डाबर इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी अंकुश जैन ने कहा कि महंगाई लगातार ऊंची बनी हुई है और यह लगातार दूसरे साल चिंता की वजह है. उन्होंने कहा, महंगाई के दबाव की वजह से उपभोक्ताओं ने अपना खर्च कम किया है. वे छोटे पैक खरीद रहे हैं।

ग्राहकों पर बोझ डाल रहीं कंपनियां
एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी उपाध्यक्ष अबनीश रॉय ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां महंगाई का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल रही हैं. हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले के पास ऊंचा मूल्य तय करने की ताकत है. वे कॉफी और पैकेजिंग सामान की मूल्यवृद्धि का बोझ ग्राहकों पर डाल रही हैं. हमारा अनुमान है कि सभी एफएमसीजी कंपनियां 2022-23 की पहली तिमाही में कीमतों में तीन से पांच फीसदी की वृद्धि करेंगी।

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