भोपाल। मप्र साइबर अपराधियों के टारगेट पर है। यहां शहर से लेकर गांव तक में लोगों को ठगा जा रहा है। साइबर अपराधियों के निशाने पर सबसे अधिक बुजुर्ग और युवतियां होती हैं। ऐसे में अब गांवों में बुजुर्गों और युवतियों को साइबर फ्राड से बचाने के लिए साइबर सखियां तैनात की जाएंगी। ये साइबर सखियां साइबर फ्राड से बचने की तरकीब बताएंगी। जानकारी के अनुसार प्रदेश में गांवों में साइबर फ्राड रोकने के लिए प्रत्येक गांव से दो-दो युवतियों को चुना गया है और उन्हें साइबर प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण पाने के बाद वे अपने-अपने गांवों में जाकर आसपास के लोगों को खुद प्रशिक्षित करेंगी। साइबर पुलिस से जुड़े अफसरों को उम्मीद है कि इस अभियान के जरिए गांव के लोगों को साइबर फ्राड से बचाने में काफी मदद मिलेगी। एडीजी साइबर सेल योगेश देशमुख ने अपने संबोधन में कहा, आप लोगों को नॉलेज इज पावर के सूत्र वाक्य को अपनाना होगा।
हरदा में रेवा सखी
साइबर सखी के तौर पर युवतियों को तैयार करने के लिए पहले दौर में हरदा जिले के चुना गया है। उन्हें आज तमाम तकनीकी तौर पर दक्ष लोगों ने ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया है। यह प्रशिक्षण हरदा के कलेक्टर ऋषि गर्ग और एसपी मनीष अग्रवाल के सहयोग से प्रदान किया गया है। दरअसल हरदा के कलेक्टर और एसपी ने नवाचार करते हुए जिले के प्रत्येक गांव की दो-दो युवतियों को जोड़ा है। उन्हें रेवा सखी का नाम दिया गया है। रेवा सखी के तौर पर जुडऩे वाली युवतियां अभी तक महिलाओं के बीच हिंसा रोकने, बच्चों में कुपोषण को दूर करने, बाल विवाह रोकने, टीकाकरण की प्रभावी बनाने और गांव में प्रशासन के लिए सूचना संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं। अब रेवा सखी साइबर सखी बनने जा रही हैं। वे अब गांव के बुजुर्गों, महिलाओं और युवतियों को साइबर फ्राड से बचने की तरकीब भी बताएंगी। जिले में साइबर सखी के तौर पर 1330 युवतियों और किशोरियों का चयन किया गया है। उनकी उम्र 14 साल से 40 साल के बीच है।
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