- – बड़ा फैसला- बरकरार रहेगी इंदौर की हरित विरासत
- – पेड़ कटेंगे नहीं ट्रांसप्लांट होंगे… एक करोड़ की मशीन खरीदेगा नगर निगम
- – मात्र 10 हजार रुपए शुल्क लेकर नगर निगम करेगा पेड़ का ट्रांसप्लांट
- – हुकमचंद मिल की जमीन पर एक भी पेड़ काटे बिना बनेगा सेंट्रल इंडिया का सबसे खूबसूरत प्रोजेक्ट
इंदौर, अरविंद तिवारी। इंदौर की हरित विरासत को बचाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया गया है। मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि इंदौर शहर में अब एक भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इंदौर नगर निगम पेड़ को ट्रांसप्लांट करने के लिए एक करोड़ रुपए की लागत से मशीन जल्दी ही खरीदेगा।
इसका अधिकृत आदेश भी जल्दी ही जारी हो जाएगा। यह तय हो चुका है कि इंदौर में अब बहुत जरूरी होने पर केवल वृक्षों की छंटाई की अनुमति ही दी जाएगी। इसके लिए भी पर्याप्त परीक्षण किया जाएगा। पेड़ काटने की अनुमति नगर निगम नहीं देगा। नगर निगम जो मशीन खरीद रहा है उसके माध्यम से पेड़ को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इसके लिए 10000 रुपए शुल्क लिया जाएगा। ऐसी मशीन अभी देश के चुनिंदा शहरों में ही उपलब्ध है और इससे ट्रांसप्लांट के बहुत अच्छे नतीजे सामने आए हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि हुकमचंद मिल की जमीन पर एक भी पेड़ काटे बिना सेंट्रल इंडिया का सबसे प्राइम प्रोजेक्ट तैयार होगा। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। यह प्रोजेक्ट ऐसा होगा, जिसकी मिसाल देशभर में दी जाएगी। इसकी प्लानिंग में देश के ख्यात आर्किटेक्ट्स की मदद ली जाएगी।
14 जुलाई तक 51 लाख पौधे रोपने के महाअभियान के बीच शहर के लोगों की ओर से यह आवाज भी उठी थी कि अभी नगर निगम द्वारा पुराने पेड़ काटने की अनुमति धड़ल्ले से दी जा रही है। हुकमचंद मिल और एमओजी लाइंस की जमीन पर निकट भविष्य में आकार लेने वाले बड़े प्रोजेक्ट में हजारों की संख्या में पुराने पेड़ काटने की बात भी सामने आई थी। इसे लेकर व्यापक जनविरोध होने लगा था। इंदौर का लगातार कम हो रहा ग्रीन कवरेज भी चर्चा का विषय बन गया था और रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा था कि हम आने वाले वर्षों में इस ग्रीन कवरेज को 21′ तक ले जाना चाहते हैं। गौरतलब है कि शहर की हरियाली को बढ़ाने के लिए विजयवर्गीय की अगुआई में जो प्रयास शुरू हुए हैं उसे व्यापक जनसमर्थन भी मिल रहा है और हर वर्ग की इसमें सहभागिता नजर आ रही है। यह माना जा रहा है कि इंदौर से शुरू हुआ यह अभियान देशभर के लिए पायलट प्रोजेक्ट की भूमिका अदा करेगा।
भोपाल में जनता आगे आई तो सरकार को पीछे हटना पड़ा
जनता के कड़े विरोध और सडक़ पर उतरने के बाद सरकार को भोपाल में बेकफुट पर आना पड़ा। इससे सालों पुराने करीब 29 हजार पेड़ कटने से बच जाएंगे। इस फैसले के बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने राहत की सांस लेते हुए ट्वीट किया कि राज्य सरकार ने शिवाजी नगर और तुलसी नगर क्षेत्र में मंत्री और विधायकों के लिए बंगले बनाने का प्रोजेक्ट अस्वीकृत कर दिया है।
इंदौर में है पेड़ का मंदिर…
इंदौर के मराठी मोहल्ला में सडक़ के बीच बने मंदिरों को विस्थापित करने के लिए एक मंदिर निर्माण के दौरान जब एक पेड़ बीच में आया तो पेड़ को सम्मान देते हुए उसके आसपास ही निर्माण कार्य करते हुए पेड़ को मंदिर में जगह दी गई। अब यहां पेड़ की भी पूजा होती है।
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