भोपाल। राजधानी भोपाल की खराब सड़कों को लेकर नपे 62 साल पुराने सीपीए (राजधानी परियोजना प्रशासन) का अस्तित्व समाप्त हो गया। 31 मार्च के बाद यह इतिहास हो गया है। 92 प्रतिशत सड़कें और एनेक्सी जैसी बिल्डिंगे तो पीडब्ल्यूडी संभालेगा ही, लेकिन गैस राहत के काम भी वही देखेगा। आज वह सीपीए के काम और संपत्ति हैंडओवर कर लेगा। सभी 7 पार्क वन विहार के हवाले होंगे। शिवराज कैबिनेट में 3 मार्च को सीपीए को समाप्त करने की फाइल पर मुहर लगने के बाद 17 मार्च को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए थे। सड़कें और बिल्डिंगें पीडब्ल्यूडी के हवाले किए गए तो 7 बड़े पार्क वन विभाग को सौंपे गए हैं। पहले गैस राहत के काम गैस राहत एवं पुर्नवास विभाग को सौंपने की चर्चा थी, लेकिन अब यह काम पीडब्ल्यूडी ही देखेगा। गैस राहत के हॉस्पिटल समेत बिल्डिगों की रिपेयरिंग पीडब्ल्यूडी के हवाले की गई है।
ऐसे हुआ है कामों का बंटवारा
बिल्डिंग, सड़कों या निर्माण से जुड़े अन्य कामों को पीडब्ल्यूडी के हवाले सौंपा गया है। अभी 147 करोड़ रुपए के 100 से अधिक निर्माण चल रहे हैं। ये काम अब पीडब्ल्यूडी करेगा। इन शाखाओं से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी, इंजीनियर पीडब्ल्यूडी के अधीन काम करेंगे। बिट्टन मार्केट स्थित सीपीए का तीन मंजिला भवन भी पीडब्ल्यूडी को सौंपा जाएगा। इसके साथ पीडब्ल्यूडी गैस राहत के काम भी करेगा। वर्ष 1986 से अब तक सीपीए ने साढ़े 35 लाख से अधिक पौधे-पेड़ लगाए थे। वहीं, 132 एकड़ में फैले एकांत, प्रियदर्शनी, चिनार, मयूर, प्रकाश तरण पुष्कर समेत 7 बड़े पार्कों की देखरेख भी करता था। पहले इनका जिम्मा नगर निगम को देने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। वहीं, निगम में नई विंग बनाने की बात भी सामने आई थी, लेकिन अब पार्क समेत इससे जुड़े सारे काम वन विभाग को सौंपा गया है। कुल 223 कर्मचारी वन विभाग में मर्ज किए जाएंगे।
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