भोपाल। मप्र में अब अब उपभोक्ताओं को घुन, मिट्टी और भूसी मिला गेहूं नहीं मिलेगा। इसके लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए निर्णय लिया है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बंटने वाले अनाज की गुणवता की जांच कराई जाएगी। उसके बाद अनाज बांटा जाएगा। प्रदेश में प्रतिमाह सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत पांच करोड़ उपभोक्ताओं को खाद्यान्न् वितरित किया जाता है। इसकी गुणवत्ता को लेकर बार-बार सवाल भी उठते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने पहली बार गोदाम स्तर पर निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके दायरे में सरकारी और निजी गोदाम आएंगे। इनमें अभी 185 लाख टन गेहूं और चावल रखा हुआ है। दो साल पहले बालाघाट, मंडला, सिवनी सहित अन्य जिलों में चावल की गुणवत्ता को लेकर केंद्र सरकार ने जांच कराई थी। इसमें बड़े पैमाने पर चावल अमानक पाया गया और इसे मिलर को वापस लौटाकर गुणवत्तायुक्त चावल लिया गया था। इसी तरह अनूपपुर और कटनी में भी अमानक चावल मिला था। घुन, मिट्टी और भूसी मिला गेहूं उचित मूल्य की दुकानों से बंटने की शिकायतें मिली हैं। भोपाल में मिट्टी मिले गेहूं के वितरण को लेकर कार्रवाई भी हो चुकी है।
लगातार मिलती हैं शिकायतें
दरअसल, उपार्जन के बाद जो गेहूं और मिलिंग के बाद चावल गोदामों में जमा किया जाता है, उसमें गड़बड़ी की शिकायतें अधिक मिलती हैं। अभी भंडार गृह निगम के अधिकारी गोदामों की जांच करते हैं लेकिन इसमें मिलीभगत की आशंका रहती है। यही वजह है कि अब सरकार ने निजी एजेंसी से जांच कराने का निर्णय लिया है। एजेंसी सभी सरकारी और निजी गोदामों में रखे अनाज की जांच करके रिपोर्ट खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग को देगी। इसमें यदि अनाज अमानक पाया जाता है तो गोदाम संचालक की जिम्मेदारी तय की जाएगी क्योंकि उपार्जन के बाद गुणवत्तायुक्त उपज ही भंडारण के लिए स्वीकार की जाती है।
तीन रुपए 60 पैसे प्रति क्विंटल में जांच
जांच के लिए निविदा में सबसे कम दर तीन रुपये 60 पैसे प्रति क्विंटल की आई है। निविदा को अंतिम रूप दे दिया गया है। संचालक खाद्य, नागरिक आपूर्ति दीपक सक्सेना का कहना है कि लगभग साढ़े छह करोड़ रुपये इस कार्य में व्यय होंगे।
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