नई दिल्ली (New Delhi) । भाजपा (BJP) नेतृत्व सत्ता विरोधी माहौल की काट और जिताऊ माहौल बनाने के लिए जहां कई प्रमुख सांसदों को विधानसभा चुनावों (assembly elections) में उतार रही है, वहीं कई मौजूदा विधायकों (MLA) को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में भी उतार सकती है। इससे दोनों स्तर पर जरूरी बदलाव करने के साथ नेतृत्व की भूमिकाएं भी बदलेगी। राज्यों में लंबे समय से राजनीति कर रहे कई नेता अगली बार लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
भाजपा नेतृत्व ने वर्ष 2022 से ही लोकसभा की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। जहां पार्टी सत्ता में रही, वहां पर मंत्रिमंडल गठन में इस बात का खासा ध्यान रखा गया कि जिन नेताओं को सरकार से बाहर रखा गया है उनमें लोकसभा के लिए वह किन चेहरों पर दांव लगा सकती है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा केंद्रीय और राज्यों की राजनीति में कई स्तरों पर अदला-बदली कर सकती है और कई चेहरों को चुनावी राजनीति के बजाए दूसरी भूमिकाओं में ला सकती है।
क्षत्रपों को मिलेगी जिम्मेदारी
भाजपा में दूसरे दलों से और समाज के विभिन्न वर्गो के अहम नेता जुड़ें हैं। पार्टी उनको भी चुनावी राजनीति व अन्य स्तरों पर समाहित कर रणनीति तैयार कर रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी सत्ता विरोधी माहौल को भी गंभीरता से ले रही है। इसमें पार्टी व नेता दोनों स्तरों पर काम किया जा रहा है। राज्यों के जमे हुए क्षत्रपों को पार्टी पहले ही केंद्रीय संगठन में ला चुकी है। इनमें से कुछ को वह विधानसभा के बजाए लोकसभा के मैदान में उतारने के साथ अन्य केंद्रीय भूमिकाओं में ला सकती है। उनकी जगह लोकसभा की राजनीति करने वाले बड़े नेताओं और नए चेहरों को मौका दिया जा रहा है।
लोकसभा चुनाव की रणनीति बनेगी
सूत्रों के अनुसार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी लोकसभा की रणनीति का खाका तैयार करेगी। उसके कई बड़े नेता जो लोकसभा चुनाव की राजनीति से दूर रहे, उनको इस बार चुनाव लड़ाया जा सकता है। हारी हुई सीटों पर पार्टी बीते डढ़े साल से जो काम कर रही है उसमें कई सीटों को जीतने के लिए इन पर दांव लगाया जाने की संभावना है। साथ ही राज्यसभा के सदस्य व विधानसभा की राजनीति करने वाले नेताओं पर विचार किए जाने की संभावना है। इनमें कुछ को तैयारी करने को भी कहा गया है।
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