- विरोध की आग में झुलसी सरकार को हटना पड़ा पीछे
- देर रात मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई आपात बैठक में कैलाश विजयवर्गीय भी रहे मौजूद
इंदौर। 24 घंटे में ही यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) के पीथमपुर (Pithampur) में जलाए (Burned) जा रहे कचरे (garbage) के मामले में मोहन सरकार (Mohan Sarkar) को पीछे हटना पड़ा, क्योंकि पीथमपुर में जहां जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए, वहीं दो कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल डालकर आग भी लगा ली। नतीजतन देर रात मुख्यमंत्री को आपात बैठक सीएम हाउस में बुलाना पड़ी, जिसमें दोनों उपमुख्यमंत्रियों के साथ मुख्य सचिव सहित आला अधिकारी मौजूद रहे।
इस आपात बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मीडिया के लिए बयान भी जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी तरह की अफवाह या भ्रम पर जनता भरोसा न करे। मैं और मेरी सरकार उनके साथ है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की गाइडलाइन और आदेशों के मद्देनजर ही पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे को नष्ट करने का निर्णय लिया है। जनभावनाओं का आदर करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष समस्त परिस्थितियों और कठिनाइयों के संबंध में अवगत कराया जाएगा और तब तक कचरा जलेगा भी नहीं। अभी सिर्फ पीथमपुर में ही कचरा रहेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारी सरकार ने पीथमपुर की घटना का संज्ञान लिया और हाईकोर्ट के आदेश पर ही कचरे का परिवहन भोपाल से पीथमपुर तक करवाया। यानी मुख्यमंत्री के इस निर्णय के बाद यह तय हुआ कि नए अदालती आदेश के आने तक पीथमपुर में पहुंचा कचरा फिलहाल रामकी कम्पनी के भस्मक में जलेगा नहीं, बल्कि वहीं पर पड़ा रहेगा। दरअसल, कचरा जलाने के विरोध में इंदौर से लेकर पीथमपुर तक जबरदस्त विरोध हुआ और पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा। भाजपा के ही दो कार्यकर्ताओं ने आत्मदाह का प्रयास कर लिया, जिसके चलते शासन को उक्त निर्णय लेने पर बाध्य होना पड़ा।