नई दिल्ली: तकनीक का हाथ पकड़ कर तेजी से विकसित होती दुनिया के साथ कदमताल करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artifical Intelligence) का इस्तेमाल तेज हो गया है. गूगल (Google) का अपना एआई है जिसे जेमिनी (gemini) कहा जाता है जबकि चैट जीपीटी बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने भी तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विकसित करना शुरू किया है. इसके लिए विभिन्न वेबसाइट पर क्रावलर्स की मदद से लाइव डाटा का इस्तेमाल कर ऐसे एआई को प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि उपभोक्ताओं की जरूरत के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बुद्धिमत्ता विकसित की जा सके.
अधिकतर वेबसाइट में किया है क्रावलर्स को ब्लॉक
हालांकि इसके बैक डोर में यूजर्स की पर्सनल जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए दुनिया भर की 48 फीसदी वेबसाइट्स ने पिछले साल 2023 में ऐसे ओपन एआई के क्रावलर को ब्लॉक किया है. जबकि 24 % वेबसाइट ने गूगल के एआई क्रावलर्स को ब्लॉक करके रखा है. यह भी पता चला है की संतान में परसेंट ऐसी वेबसाइट जिसने गूगल के ए के क्राउलर को ब्लॉक किया है उसने ओपन ए को भी ब्लॉक कर रखा है.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक द न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएन और ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) जैसे कई टॉप नए पब्लिकेशन ने अपने एआई मॉडल को ट्रेन करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई को उनके कंटेंट को एक्सेस करने से रोक दिया है.
इन वेबसाइट्स ने भी कर रखा है एआई को ब्लॉक
द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, एनवाईटी ने ओपनएआई के वेब क्रॉलर को ब्लॉक कर दिया है, जिसका मतलब है कि सैम ऑल्टमैन द्वारा संचालित कंपनी अपने एआई मॉडल को ट्रेन करने के लिए पब्लिकेशन के कंटेंट का इस्तेमाल नहीं कर सकती है. इसी तरह से सीएनएन, शिकागो ट्रिब्यून और ऑस्ट्रेलियन कम्युनिटी मीडिया ब्रांडों जैसे कुछ अन्य न्यूज पब्लिकेशन ने भी ओपनएआई के वेब क्रॉलर को अवरुद्ध कर दिया है. एनवाईटी कानूनी विकल्प भी तलाश रहा है कि क्या माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई पर मुकदमा चलाया जाए और इसकी रिपोर्टिंग से जुड़े इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स की रक्षा की जाए.
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