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    अब तबादलों की झड़ी, इंदौर जिले में भी लगेगी मुख्यमंत्री की सहमति

  • August 20, 2024

    • प्रभारी मंत्रियों को मिलेंगे अधिकार, आज कैबिनेट बैठक में नीति को मंजूरी, दिव्यांग महिलाओं सहित विशेष परिस्थितियों में रियायत भी मिलेगी

    इंदौर (Indore)। थाना प्रभारियों से लेकर जिलों के भीतर होने वाले तबादलों में प्रभारी मंत्री की अनुशंसा ही मान्य रहती है। चूंकि इंदौर जिले (Indore district) का प्रभार मुख्यमंत्री ने खुद ही रखा है, लिहाजा अब जिले के भीतर होने वाले तबादले भी उन्हीं की मंजूरी से हो सकेंगे। हालांकि महत्वपूर्ण पदों पर होने वाले तबादले तो मुख्यमंत्री की सहमति से ही होते रहे हैं। आज कैबिनेट बैठक में तबादला नीति को मंजूरी मिल सकती है। उसके बाद तबादलों की $झड़ी लगेगी और सभी विभागों में थोकबंद तबादले अगले एक पखवाड़े तक होते रहेंगे। हर साल इन दिनों तबादलों का सीजन रहता है। इस नीति में जिले के भीतर और बाहर किए जाने वाले तबादलों के विशेष नियम बनाए जाएंगे। हालांकि आईएएस-आईपीएस से लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादले इस दायरे में नहीं आते हैं और वे सीधे मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ही सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किए जाते रहे हैं।

    तबादला नीति में दिव्यांगों-महिलाओं से लेकर गंभीर बीमारी से ग्रस्त कर्मचारियों के तबादलों को चिकित्सकीय आवश्यकताओं के मुताबिक किया जा सके इसका भी ध्यान रखा जाएगा। फिलहाल मानसूनी बादल तो इंदौर से रुठे हैं और अभी आधा कोटा भी नहीं हुआ। मगर तबादलों की झड़ी अवश्य लगने जा रही है, क्योंकि तबादलों पर लगा प्रतिबंध एक पखवाड़े के लिए शासन द्वारा हटाया जाएगा और नई तबादला नीति संभवत: आज कैबिनेट बैठक में मंजूर कर जारी कर दी जाएगी। सूत्रों के मुताबिक नई नीति में अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पदों को प्राथमिकता से भरे जाने का प्रावधान भी रहेगा। जिले के भीतर होने वाले तबादलों के लिए चूंकि प्रभारी मंत्री की मंजूरी जरूरी है। ऐसे में सभी जिलों में पिछले दिनों जो प्रभारी मंत्री बनाए गए हैं उनके पास भीड़ लगना शुरू हो गई है।


    इंदौर जिले का प्रभार चूंकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पास ही रखा है, लिहाजा बड़े से लेकर छोटे तबादलों में भी मुख्यमंत्री की प्रभारी मंत्री होने के नाते सहमति ली जाएगी। हालांकि सांसद-विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा भी जिले के भीतर होने वाले तबादलों के लिए अनुशंसा की जाती है। अब यह मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि वे इंदौर जिले को लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों की कितनी बातें मानते हैं। थाना प्रभारियों के तबादले भी अब मुख्यमंत्री की सहमति से जिले के भीतर होंगे। प्रभारी मंत्री के साथ मुख्यमंत्री के पास चूंकि गृह मंत्रालय भी है। लिहाजा जिले में तो वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर थाना प्रभारियों के तबादलों में भी अब मुख्यमंत्री का सीधा दखल रहेगा। इंदौर जैसे शहर में तो कई थानों में पदस्थापना कराने के लिए भी राजनीतिक जोड़तोड़ की जाती है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा होगी। इसमें सबसे अहम प्रदेश की तबादला नीति है। कैबिनेट में तबादला नीति के प्रारूप पर मुहर लग सकती है। इसमें 15 दिन के लिए ट्रांसफर से रोक हटेगी। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार ने अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों के लिए नई नीति का मसौदा तैयार किया है, जिसमें जिले के भीतर और बाहर तबादलों के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं। इस नीति में विशेष रूप से प्रभारी मंत्री और विभागीय मंत्री की स्वीकृति की आवश्यकता को प्रमुखता दी गई है।

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