इंदौर (Indore)। बढ़ते साइबर अपराधों को रोकने के लिए अब आतंकवादियों और नक्सलियों की धरपकड़ के लिए बनने वाले कमांडो फोर्स की तर्ज पर साइबर कमांडो फोर्स बनाया गया है। यह हर राज्य में काम करेगा। फोर्स के लोगों को आईआईटी से बकायदा ट्रेनिंग दी गई है। ये बड़े साइबर अपराधों की जांच करेगा। प्रदेश में भी एक फोर्स जल्द काम शुरू करेगा।
साइबर अपराध पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है। कल दिल्ली में गृहमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक में साइबर अपराधों से निपटने के लिए कई नए प्रावधान किए गए। नेशनल साइबर हेल्पलाइन के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें बताया गया कि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रोज 68 हजार कॉल आते हैं और प्रतिदिन 6 हजार शिकायतें दर्ज होती हैं। इनमें लोगों को 2 हजार 900 करोड़ का चूना लगाया गया है। इससे बचने के लिए हर राज्य में जहां अब साइबर कमांडो फोर्स बनाया गया है, वहीं इन पुलिसकर्मियों को आईआईटी से ट्रेनिंग दी गई है।
प्रदेश में भी यह फोर्स बना है, जो जल्द काम शुरू कर देगा। ये फोर्स सरकारी वेबसाइट और बड़े साइबर अपराधों की जांच करेगा। इसके अलावा साइबर अपराधों को रोकने के लिए सभी राज्यों का एक वॉर रूम दिल्ली में बनाया गया है, जिसमें हर राज्य का एक प्रतिनिधि बैठेगा, ताकि साइबर अपराध होने पर जानकारी साझा की जा सके। इसके अलावा 45 लाख साइबर अपराधियों के बैंक खाते और सिम कार्ड का डाटा तैयार किया गया है, ताकि किसी भी राज्य में ठगी हो तो ठग के जहां-जहां बैंक खाते हैं, उनको तुरंत ब्लॉक किया जा सके और लोगों को ठगी का शिकार बनने से बचाया जा सके। इसके अलावा 335 बैंकों को भी जोड़ा गया है, वहीं यह भी संशोधन किया गया है कि अब पुलिस साइबर फ्रॉड होने पर बैंकों से खाते की जानकारी, सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल नंबर भी मांग सकती है।
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