नई दिल्ली । सोने की चमक के आभूषण जितने लुभाते हैं, उतना ही आकर्षण इसके निवेश में भी होता है। ज्यादा सुरक्षित विकल्प के तौर पर लोग अब डिजिटल सोने में भी पैसे लगाते हैं। इसमें निवेश भी बाजार के भौतिक सोने की तरह ही कर के दायरे में आता है। डिजिटल सोने पर किस तरह और कितना टैक्स देना पड़ता है, यहां हम आपको बता रहे है…
केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया ने बताया कि फोन पे, पेटीएम सहित कई डिजिटल एप सोने में निवेश का विकल्प देते हैं। यहां 100 रुपये से शुरुआत की जा सकती है। क्योंकि डिजिटल सोना बेचने की अनुमति सरकारी कंपनी एमएमटीसी देती है। इसलिए यहां पैसे लगाना पूरी तरह सुरक्षित होता है। हालांकि अगर आप डिजिटल सोना खरीदते हैं तो कुल मूल्य पर तीन प्रतिशत जीएसटी भी चुकाना पड़ता है।
निवेश के समय चुकाना होगा जीएसटी
बाजार से भौतिक सोने की खरीद पर भी इतना ही जीएसटी लगेगा, जिससे सोने की वास्तविक कीमत के साथ मेकिंग चार्ज भी जुड़ा होगा। देखा जाए तो दोनों ही तरह से सोने में निवेश पर तीन प्रतिशत जीएसटी देना होगा, लेकिन डिजिटल सोने पर मेकिंग चार्ज का खर्च बच जाएगा। साथ ही इसमें न तो मिलावट का डर होगा और न चोरी या खो जाने की चिंता होगी।
3 तरीके से रिटर्न पर बचा सकते हैं टैक्स
आयकर की धारा 54एफ में डिजिटल सोने के मुनाफे को आवासीय संपत्ति में निवेश करें तो पूरी राशि पर टैक्स छूट मिलेगी।
धारा 54ईसी में सरकारी बॉन्ड में निवेश पर भी सोने से प्राप्त एलटीसीजी टैक्स नहीं लगता है।
आरबीआई के सावरेन गोल्ड बॉन्ड की परिपक्वता पर मिला लाभ भी पूरी तरह कर मुक्त होता है।
बाजार भाव पर निर्भर डिजिटल सोना भी
निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि सोने का भाव भी भौतिक सोने के बाजार पर निर्भर होता है। बाजार में जैसे-जैसे कीमत बढ़ेगी। डिजिटल निवेश पर रिटर्न भी बढ़ता जाएगा। सोना अभी कुछ नीचे आया है लेकिन 2020 में जहां 28 प्रतिशत रिटर्न मिला। वहीं 5 साल में 90 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न दिया है। डिजिटल सोने में निवेश जितना आसान है, उतना ही सुरक्षित भी है।
बेचने पर भी दो तरह से कर भुगतान
डिजिटल सोने को बेचने से हुए मुनाफे पर दो तरह से कर लगता है। अगर निवेश के 3 साल के भीतर बेचा जाता है तो सीधे तौर पर टैक्स देनदारी नहीं बनेगी। इस बिक्री से हुए मुनाफे को अतिरिक्त आय माना जाएगा और कम अवधि का पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) कार्ड देना पड़ेगा। जो ग्राहक के टैक्स स्लैब के बराबर होगा। एक लाख के निवेश पर 30 प्रतिशत लाभ हुआ और 10 प्रतिशत आयकर स्लैब में आता है, तो 30 हजार के मुनाफे पर 3 हजार टैक्स लगेगा। 3 साल के बाद सोना इस पर भी देना होगा।
ईपीएफ एमएफ से बेहतर डिजिटल सोना
कई निवेशकों को लगता है कि भौतिक सोने के अलावा इसे खरीदने के जो भी विकल्प हैं, सब डिजिटल सोना हैं।
ऐसा नहीं है, गोल्ड में म्यूचुअल फंड या गोल्ड इक्विटी ट्रेडेड फंड ईटीएफ लिटल सोने से अलग है। एमएफ या ईटीएफ में निवेश के बाद फंड हाउस को एक्सपेंस रेशियो व अन्य शुल्क देना होगा। यह कुल निवेश का 3 से 4 प्रतिशत तक हो सकता है। डिजिटल सोने में निवेश के लिए ऐसा कोई शुल्क नहीं लगता। आप चाहे तो इसके रिटर्न को भौतिक सोने के रूप में वापस ले सकते हैं।
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