नई दिल्ली । पुणे आधारित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) ने कोरोना वायरस (corona virus) के बचाव के लिए एक और वैक्सीन कोवोवैक्स का ट्रायल शुरू कर दिया है। क्लीनिकल ट्रायल में कोवोवैक्स 90 प्रतिशत से ज्यादा असरदार पाई गई है। भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल भी अंतिम दौर में है। जल्द ही देश को एक और कोरोना वैक्सीन मिल सकती है। अगले माह देश में बच्चों पर भी कोवोवैक्स का क्लीनिकल ट्रायल शुरू होने वाला है।
सीरम पहले से एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोविशील्ड का निर्माण कर रहा है, जिसका जनवरी मध्य से ही भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। कोवोवैक्स के पहले बैच के निर्माण की जानकारी खुद सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट करके दी। पूनावाला ने ट्वीट किया, पुणे में हमारी फैसिलिटी में इस हफ्ते (नोवावैक्स की तरफ से विकसित) कोवोवैक्स के पहले बैच का निर्माण होते देखने से रोमांचित हूं। इस वैक्सीन में 18 साल से कम उम्र की हमारी भावी पीढ़ी की रक्षा करने की क्षमता है। ट्रायल्स चल रहे हैं। वेल डन टीम सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया।
अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी नोवावैक्स ने पिछले साल सितंबर में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोरोना वैक्सीन बनवाने का समझौता किया था।नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन भारत में कोवोवैक्स के नाम से बन रही है। सितंबर तक सीरम इस वैक्सीन को भारत में लॉन्च करने की योजना है।
भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। हालांकि, बच्चों पर इसका अलग से क्लीनिकल ट्रायल (clinical trial) किया जाएगा और उसमें ट्रायल के नतीजे ठीक-ठाक रहने पर ही यह बच्चों के लिए उपलब्ध होगी। क्लीनिकल ट्रायल में नोवावैक्स के नतीजे काफी अच्छे आए हैं।
कंपनी का दावा है कि ट्रायल के दौरान यह वैक्सीन 90 प्रतिशत से ज्यादा असरदार पाई गई है। कुछ दिन पहले ही नोवावैक्स ने बताया था कि फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल में यह 90.4 प्रतिशत असरदार पाई गई है। इस तरह यह अमेरिका और यूरोपीय देशों में इस्तेमाल हो रही फाइजर-बायोनटेक (pfizer-biontech) और मॉडर्ना की वैक्सीन के टक्कर की है, जो फेज-3 ट्रायल में क्रमशः 91.3 प्रतिशत और 90 प्रतिशत असरदार मिली थीं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल भी नोवावैक्स के ट्रायल्स के नतीजों से काफी उत्साहित हैं। उन्होंने कहा सार्वजनिक तौर पर नोवावैक्स से जुड़े जो आकंड़े मौजूद हैं, वे बताते हैं कि यह वैक्सीन सुरक्षित और बहुत ही ज्यादा असरदार है। पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पहले से ही एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित कोरोना कोविशील्ड का निर्माण कर रही है। भारत में चल रहे कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में ज्यादातर कोविशील्ड का ही इस्तेमाल हो रहा है। उसके अलावा भारत बायोटेक की बनाई देसी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन और रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी का भी देश में प्रचुरता से इस्तेमाल हो रहा है।
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