उज्जैन । हम सब जानते हैं कि घर पर बनी खाद को ‘काला सोना’ कहा जाता है क्योंकि यह पेड़-पौधों के लिए गोबर की खाद से भी ज्यादा फायदेमंद होता है।
आज हम बात कर रहे हैं उज्जैन की वार्ड क्रमांक 17 स्थित ढांचा भवन में निवासरत सरला चौरे की जिन्होंने होम कंपोस्टिंग को अपनाते हुए विगत कई वर्षों में अपने घर में खाद बनाते हुए होम कंपोस्टिंग को सफलतापूर्वक (home composting) अपनाया है। घर पर बनाई इस खाद को ही श्रीमती चौरे अपने गार्डन में लगी सब्जियों और फलों के पेड़ों में डालती हैं। उन्हें अपने गार्डन से स्वस्थ और पौष्टिक उपज मिलती है। श्रीमती चौरे कहती हैं कि वह कभी भी अपने गार्डन के लिए बाहर से कोई खाद या फिर अन्य उर्वरक नहीं खरीदती हैं। वह जो कुछ भी गार्डन में खाद, फर्टीलाइजर डालती हैं, सब घर पर ही तैयार होता है। उनका आधे से ज्यादा काम तो खाद ही कर देता है क्योंकि इसमें सभी तरह के मिनरल्स और पोषक तत्व होते हैं। इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है। सब्जियां और फल पौष्टिक होते हैं।
“मैं हर महीने अपने घर में खाद बनाती हूँ। पेड़-पौधों की मिट्टी तैयार करते समय भी इसी खाद को मिलाती हूँ। इससे मेरे गार्डन को पोषण तो मिलता ही है, साथ ही कचरे की समस्या भी हल हो रही है। इसलिए मैं चाहती हूँ कि ज्यादा से ज्यादा लोग यह करें।”
कैसे बनायें खाद
अपने किचन से निकलने वाले फल, सब्जियों के छिलकों को स्टोर कर लें, एक-दो दिन बाद इन्हें कम्पोस्टिंग के लिए रखें। सबसे पहले कोई भी प्लास्टिक का बड़ा डिब्बा, बाल्टी या ड्रम लीजिये। इसमें किसी नुकीली चीज़ को गर्म करके नीचे तले में और साइड में कुछ छेद कर लीजिये, ताकि ऑक्सीजन का अवागमन होता रहे। अब सबसे नीचे मिट्टी या सूखे पत्ते बिछा दीजिए। इन पर एक लेयर अब छिलकों की डालिए। अगर आप चाहें तो इस पर कोकोपीट की लेयर डाल सकते हैं, लेकिन अगर वह नहीं है तो आप सूखे-गले सड़े पत्ते ही डालिए। हर रोज़ इस डिब्बे में एक-एक लेयर गीले कचरे और सूखे पत्तों या फर मिट्टी आदि की डालते रहें। बीच-बीच में थोड़ी-सी पुरानी खाद या फिर छाछ का छिड़काव कर सकते हैं ताकि खाद बनने की प्रक्रिया जल्दी हो जाए। इस ड्रम को छांव वाली जगह पर रखना है, जहाँ बारिश का पानी इस पर न पड़े। जब यह ड्रम भर जाए तो दूसरे किसी बर्तन या ड्रम में यह प्रक्रिया शुरू कर दीजिए। लगभग 40 दिनों में खाद तैयार हो जाएगी।