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हफ्तेभर में पंचायत चुनाव की अधिसूचना होगी जारी, आज आयोग ने बुलाई बैठक

May 11, 2022

सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद शिवराज सरकार की उलझनें बढ़ी, नगरीय निकायों के चुनाव भी अब जल्द कराना पड़ेंगे, विभागीय मंत्री ने दूसरी बार टाला इंदौर का दौरा
इंदौर। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के ही पंचायत चुनाव (Panchayat Election) करवाने के आदेश दिए, जिसके चलते प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया। कांग्रेस (Congress)-भाजपा (BJP) एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो कर ही रही है, वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने अपना विदेश दौरा तक निरस्त कर दिया और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का भी निर्णय लिया है। इधर राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के फैसले के मद्देनजर बैठक बुलाई है, जिसमें चुनाव करवाए जाने और उसकी अधिसूचना जारी करने पर निर्णय लिया जाएगा। हफ्तेभर में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। दूसरी तरफ नगरीय निकायों के भी चुनाव दो साल से ठप पड़े हैं। मगर अब पंचायतों के बाद उसके चुनाव भी करवाए जाएंगे। आज इंदौर आने वाले विभागीय मंत्री ने अपना दौरा इसी के चलते निरस्त कर दिया, क्योंकि मीडिया के सवालों के जवाब देना पड़ेंगे।


पंचायत चुनाव (Panchayat Election) को लेकर सालभर से घमासान चल रहा है। पिछले दिनों शिवराज सरकार ने पंचायत चुनावों की घोषणा कर दी थी, मगर उसके बाद अदालती चुनौती के चलते ऐन वक्त पर ये चुनाव निरस्त कराना पड़े, तो दूसरी तरफ विधानसभा में सरकार ने यह निर्णय ले लिया कि बिना आरक्षण के चुनाव नहीं कराए जाएंगे। मगर अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  के फैसले के चलते बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के ही चुनाव करवाना पड़ेंगे, जो कि शासन के लिए एक बड़ा झटका ही है। यही कारण है कि शासन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुन: संशोधन याचिका दायर करने जा रही है। हालांकि विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें भी राहत मिलने के आसार नहीं हैं, क्योंकि बीते तीन सालों से पंचायत के साथ-साथ नगरीय निकाय के चुनाव भी टाले जाते रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि 5 साल में चुनाव करवाना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। इधर इस मुद्दे पर कांग्रेस-भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। भाजपा का कहना है कि हमने आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) मांगा था और 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी। मगर कांग्रेस ने कोर्ट जाकर अड़ंगा डाल दिया, तो दूसरी तरफ कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा शिवराज सरकार चाहती ही नहीं है कि ओबीसी वर्ग को आरक्षण मिले और सुप्रीम कोर्ट में भी सही तरीके से पक्ष नहीं रखा और आधी-अधूरी रिपोर्ट पेश करने से यह स्थिति निर्मित हुई। इधर राज्य निर्वाचन आयोग आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण बैठक बुला रहा है, जिसमें कोर्ट फैसले के मद्देनजर चुनाव करवाने की तैयारी शुरू की जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से परिसीमन की भी सूची मांगी गई है और संभवत: हफ्तेभर में ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।


वार्ड आरक्षण से लेकर महापौर चुनाव तक उलझन
एक तरफ पंचायत चुनाव अटके पड़े हैं, तो नगरीय निकायों के चुनाव भी दो सालों से नहीं हो सके। पहले कोरोना के चलते चुनाव टाले गए, उसके बाद वार्ड आरक्षण से लेकर महापौर पद के आरक्षण पर चर्चा चलती रही। अभी भी यह तय नहीं है कि महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराया जाएगा या फिर पार्षद चुनेंगे। वहीं नए सिरे से वार्ड आरक्षण भी करवाना पड़ेगा, क्योंकि हाईकोर्ट ने पिछले दिनों रोटेशन प्रणाली के तहत आरक्षण ना किए जाने के कारण उसे खत्म कर दिया था। लिहाजा नए सिरे से वार्ड आरक्षण की प्रक्रिया भी करना पड़ेगी। इंदौर में 85 वार्ड हैं, जिनमें 48 सामान्य, 28 महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, वहीं अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग के लिए भी वार्ड आरक्षित किए गए हैं। जिले में 334 ग्राम पंचायतें और इतने ही सरपंच और 4590 पंचों की संख्या है। इंदौर निगम के इन वार्डों में मतदाताओं की संख्या लगभग 18 लाख है, तो ग्रामीण मतदाताओं की संख्या साढ़े 6 लाख से अधिक हो चुकी है। अब पंचायत के साथ नगरीय निकाय चुनाव का भी हल्ला शुरू होगा।


शिवराज ने निरस्त की अपनी विदेश यात्रा भी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  द्वारा पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के संबंध में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर जो महत्वपूर्ण फैसला दिया, उसके चलते मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)  को 14 मई को शुरू होने वाला अपना विदेश दौरा (Foreign Tour) आज ताबड़तोड़ रद्द करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि न्यायालय में पुन: अपना पक्ष रखना तथा पिछड़ा वर्ग के हितों का संरक्षण करना मेरी प्राथमिकता है। लिहाजा मैं अपनी प्रस्तावित विदेश यात्रा निरस्त कर रहा हूं और शासन सुप्रीम कोर्ट में पुन: संशोधन याचिका भी दायर करेगा। मुख्यमंत्री का कहना है कि उनकी सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि इन्वेस्टर्स समिट के मद्देनजर मुख्यमंत्री की यह विदेश यात्रा होना थी।

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