इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं (house building institutions) की चल रही जांच-पड़ताल के बीच कई संस्थाएं ऐसी है जिन्होंने सालों से ऑडिट ही नहीं करवाया, जिसके चलते अभी सहकारिता विभाग (cooperative Department) ने तीन दर्जन संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं को नोटिस जारी किए हैं। वहीं तीन संस्थाओं के अध्यक्षों को तीन साल के पद से हटा भी दिया है। इसमें जय हिन्द, टीडीएस (TDS) और जयलक्ष्मी गृह निर्माण संस्थाएं शामिल हैं। जय हिन्द गृह निर्माण पर भी भूमाफियाओं के कब्जे रहे, तो इसकी कालोनी आम्रपाली में तो कई सदस्य भूखंडों की आस में ही स्वर्ग सिधार गए। देवगुराडिय़ा में खरीदी जमीन पर जादूगरों ने बहुमंजिला इमारत का नक्शा भी नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर करवा लिया था। इसी तरह जय लक्ष्मी संस्था की दीपकुंज कालोनी के पीडि़त भी संघर्षरत हैं। योजना 140 के पास स्थित इस कालोनी में भी जहां एक ही परिवार के लोगों को भूखंड दे दिए, वहीं अन्य गड़बडिय़ां भी कम नहीं है।
जय लक्ष्मी संस्था ने पिपल्याहाना में खसरा नम्बर 506, 507 और 523 की जमीनें किसानों से अनुबंध के जरिए खरीदी। वहीं खसरा नम्बर 506 का रजिस्ट्री संस्था के पक्ष में नहीं हुई। वहीं खसरा नम्बर 507 और 523 की जमीन एक अन्य गिरधर गृह निर्माण संस्था को बेच दी। खरीदी जमीन का नामांतरण ना होने से जब यह जमीन प्राधिकरण की योजना में आई तो संस्था की बजाय किसान को मुआवजा मिल गया। पिछले 25 सालों से दीपकुंज कालोनी के कई भूखंड गुहार लगाते रहे हैं। दो बार विकास शुल्क सहित अन्य राशि भी कर्ताधर्ताओं को दे चुके हैं। संस्था के अध्यक्ष कुलवाल सहित अन्य ने रसूखदारों को भी जमीनें बेच दी, जिन्होंने बाजार दर पर आवासीय के साथ व्यवसायिक भूखंड भी बेचे। अभी सहकारिता विभाग ने जय लक्ष्मी के वर्तमान अध्यक्ष सिद्धार्थ बालकृष्ण कुलवाल को तीन साल के लिए पद से हटा दिया। कुलवाल कंस्ट्रक्शन के जरिए भी इन लोगों ने भूखंड बेच दिए। इसी तरह टीडीएस गृह निर्माण के अध्यक्ष अमरीश गुप्ता और जय हिन्द संस्था के अध्यक्ष मिलन जगदीश गिरी को भी तीन-तीन साल के लिए हटाया गया है। उल्लेखनीय है कि जय हिन्द गृह निर्माण पर भी मद्दे सहित अन्य भूमाफियाओं का कब्जा रहा है और पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह ने जिन भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई उनमें इस संस्था से जुड़े लोग भी शामिल हैं। इसकी कालोनी आम्रपाली के 225 मूल सदस्य थे, जिनमें से 150 तो स्वर्ग सिधार गए और बचे 75 सदस्यों में से 32 को संस्था अध्यक्ष ने अपात्र घोषित कर डाला और अन्य 43 सदस्यों को भी वरीयता सूची में शामिल ना करते हुए फर्जी सदस्यों की नई सूची बना ली। देवगुराडिय़ा के पास खरीदी जमीन को जादूगरों द्वारा बेचा जाता रहा और फिर इस पर बहुमंजिला इमारत का नक्शा भी मंजूर करा दिया था। यह संस्था पहले श्रीकांत घंटे और उनके परिवार के लोगों के पास भी रही। उसके बाद घंटे परिवार ने शम्शुद्दीन चिश्ती को अध्यक्ष बनाया और उसके बाद संस्था में ही फोटो कॉपी करवाने वाले नौकर मिलन गिरी को कागजी अध्यक्ष बना दिया, जिसे अब सहकारिता विभाग ने हटाया है। इतना ही नहीं, तीन दर्जन से अधिक अन्य संस्थाओं के कर्ताधर्ताओं को भी सहायक आयुक्त ने ऑडिट ना करवाने के चलते नोटिस थमाए हैं, जिसमें श्री मालव, नव भारत गृह निर्माण, नगर निगम प्रगतिशील, केन्द्रीय कर्मचारी गृह निर्माण, श्रीराम गृह निर्माण, राजस्व कर्मचारी, इंदौर नगर पालिका, टेक्सटाइल वर्कर, पाश्र्वनाथ, कर्मचारी राज्य बीमा निगम, सहकारी गृह निर्माण संस्था के अलावा आदिनाथ गृह निर्माण, हरियाणा, शीतल नगर, सर्वानंद, श्वेतांक, सविता गृह निर्माण, कल्पतरु, प्रशांत गृह निर्माण, ज्योति नगर, स्वास्तिक गृह निर्माण, रजत गृह निर्माण, श्रीकृष्ण, रविदास सहित अन्य संस्थाओं को भी नोटिस जारी किए गए हैं। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चिराग शाह, चम्पू अजमेरा व मेहता, डागरिया सहित अन्य को प्रशासन ने नोटिस जारी कर पीडि़तों को भूखंड देने के निर्देश भी दिए हैं, जिसकी प्रक्रिया कलेक्टर के निर्देश पर चल रही है। 31 मार्च तक यह पूरी प्रक्रिया इन भूमाफियाओं को करना पड़ेगी, अन्यथा फिर जेल जाएंगे।
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