उज्जैन। नगर निगम संपत्तिकर तो वसूलता है लेकिन अधिक राशि के मामलों में वसूली संतोषजनक नहीं हैं और इसके कारण बड़ी राशि अटक जाती है। निगम अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए सख्ती की जाएगी तथा नोटिस दिए गए हैं।
नगर निगम ने पिछले वर्ष कोरोना के बावजूद 23 करोड़ रुपए से अधिक का संपत्ति कर जमा किया था। इस साल भी नगर निगम शुरुआत से ही संपत्ति कर को बढ़ाने में लगी हुई है। नगर निगम के पास संपत्ति कर के अलावा आय का कोई बड़ा साधन नहीं है। पिछले वर्ष नगर निगम ने 23 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली की थी लेकिन इसके बावजूद बड़े बकायेदारों पर कोई असर नहीं पड़ा। नगर निगम के बड़े बकायेदारों और सरकारी बकायेदारों की ही बात कर ली जाए तो भैरवगढ़ जेल पाश्र्वनाथ डेवलपर्स दूरसंचार और अन्य शासकीय विभागों से ही 4 करोड़ रुपए की राशि नगर निगम को लेना है। इसके अलावा 50 हजार से अधिक के बड़े बकायदा करीब 500 की संख्या में है जिनसे करोड़ों रुपए की राशि बकाया है। ऐसे में अब संपत्ति कर विभाग ने 500 से अधिक नोटिस बाँटे हैं, जिनमें स्पष्ट कहा गया कि 10 दिन में यदि पैसा जमा नहीं किया तो तालाबंदी सहित अन्य वैधानिक कार्रवाई होगी। वर्तमान में पिछले 7 महीनों में नगर निगम ने 17 करोड़ 58 लाख रुपए की राशि संपत्ति कर में वसूली है।
पिछले साल का लक्ष्य पूरा करने में भी अभी 5 करोड़ रुपए से अधिक राशि वसूलना है। निगम के संपत्ति कर से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 2 दिन बाद लोक अदालत लगना है, इसमें करीब दो से तीन करोड़ रुपए की वसूली हो जाएगी और जो नोटिस बांटे गए हैं इनमें भी 3 से 4 करोड़ रुपए की वसूली होगी। इस प्रकार चार से पांच करोड़ रुपए की वसूली इस अभियान से बढ़ सकती है। उल्लेखनीय है कि नगर निगम ने संपत्ति कर की आय बढ़ाने के लिए कई बार सर्वे किए लेकिन वह सर्वे फेल ही साबित हुए हैं, जबकि इन सर्वे में 15 लाख रुपए तक के ठेके भी दिए गए। अब नगर निगम के राज्य शासन के पोर्टल पर फिर से सर्वे कराया जा रहा है और इस सर्वे में 20000 संपत्तियों का सर्वे कर लिया गया है, यदि संपत्तियों का सही सर्वे हो जाए तो ही नगर निगम को 50 करोड़ रुपए की आय हर साल संपत्ति कर से ही हो सकती है। नगर निगम के पास वर्तमान में करीब डेढ़ लाख संपत्तियाँ दर्ज है लेकिन इनमें से संपत्ति कर सिर्फ 1 लाख-संपत्तियों से ही आता है बाकी संपत्तियों का हमेशा बकाया ही चलता रहता है।
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