भोपाल। राष्ट्रीय ग्रामीण अजिविका मिशन मप्र में करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले में मप्र हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 फरवरी को अगली सुनवाई में घोटाले मामले में लिए गए एक्शन पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट में यह भी तथ्य रखा गया कि ग्रामीण आजीविका मिशन में सीनियर आईएएस की किए जाने का प्रावधान है, लेकिन मप्र सरकार ने नियम विरुद्ध, एक रिटायर्ड आईएफएस ललित मोहन बेलवाल को संविदा आधार नियुक्ति की गई है।
आजीविका मिशन में बेलवाल ने नियुक्तियों से लेकर हर स्तर पर घेाटाले किए हैं। बेलवाल ने सुषमा रानी शुक्ला को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियम विरुद्ध राज्य स्तरीय प्रोजेक्ट मैनिजर के पद पर नियक्ति दिलाई। इस मामले में आईएएस नेता मारव्या की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में पेश किया जा चुका है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि नियम विरुद्ध नियुक्ति मामले में आईएएस प्रियंका दास की भूमिका भी संदिग्ध है। बेलवाल पर आरोप है कि आजीविका मिशन से जुड़े साढ़े तीन लाख से ज्यादा समूहों से जुड़ी करीब 45 लाख महिलाओं के बीमा के नाम पर घोटाल किया है। प्रति समूह 300 रूपए प्रतिवर्ष वसूले गए, लेकिन किसी भी समूह को बीमा पॉलिसी नहीं दी गई। बीमा की राशि किसी भी कंपनी में जमा नहीं की गई। स्कूली बच्चों की ड्र्रेस में भी फर्जीवाड़ा किया। जिन कर्मचारियों ने शिकायत की, उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।
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