इंदौर। नगर निगम जिंसी चौराहा से लक्ष्मीबाई प्रतिमा किला मैदान तक 80 फीट चौड़ी वीआईपी रुट की दो सडक़ों को भी चौड़ा कर रह है। इसमें से एक सडक़ टाटा स्टील चौराहा से कंडिलपुरा होते हुए सुभाष मार्ग पर जाती है। निगम ने जिंसी से लक्ष्मीबाई प्रतिमा के बीच में आने वाले लगभग 65 भवन मालिकों को नोटिस जारी किए हैं और उनसे भवन निर्माण अनुज्ञा से लेकर जमीन की मालिकी सहित अन्य दस्तावेज मांगे हैं। वहीं दूसरी तरफ नगर निगम लगातार अवैध निर्माणों पर तो कार्रवाई कर ही रहा है, साथ ही बिना कार्य पूर्णता व अधिभोग प्रमाण-पत्र के गतिविधि शुरू करने पर भी सील करने की कार्रवाई की जा रही है। कल दो और नई बिल्डिंगों को निगम ने सील कर दिया।
आयुक्त प्रतिभा पाल के निर्देश पर नगर निगम का जनकार्य विभाग लगातार जहां अवैध निर्माणों को जमींदोज कर रहा है। कल भी नफीस बैकरी के अवैध कम्युनिटी हॉल के निर्माण को तोड़ा गया। वहीं भवन अधिकारी गजल खन्ना ने बताया कि झोन क्र. 19 में आने वाले 591 पिपल्याहाना स्थित तुलसी टॉवर पर भवन स्वामी अनिता पति निर्मल नरेड़ी ने बिना कार्यपूर्णता अधिभोग प्रमाण-पत्र के संचालन शुरू कर दिया था, जिस पर उसे सील किया गया। इसी तरह एक अन्य कार्रवाई भवन स्वामी पंकज अग्रवाल के खिलाफ भी की गई, जिसने 81/1/2/5 और 81/2/1/3 भिचौली मर्दाना में 5 फीसदी व्यवसायिक और अन्य पर आवासीय निर्माण की मंजूरी दी गई थी, मगर पहली और दूसरी मंजिल पर सम्पूर्ण व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा था और दोनों प्रमाण-पत्र भी हासिल नहीं किए, जिसके चलते व्यवसायिक उपयोग करने पर निगम ने इस भवन को भी सील कर दिया, जहां पर शहर का जाना-माना इलेक्ट्रॉनिक सामानों का शोरूम खुलने वाला था। दूसरी तरफ निगम ने जिंसी चौराहा से लक्ष्मीबाई प्रतिमा चौराहा तक बनने वाली सडक़ में बाधक 65 भवन मालिकों को नोटिस जारी किए हैं। इनमें से कई 50 साल पुराने भी हैं। निगम का कहना है कि निर्माण से लेकर अन्य दस्तावेज इन भवन मालिकों से मांगे गए हैं, ताकि पर्याप्त जांच-पड़ताल के बाद आगे की कार्रवाई की जा सके।
टैक्स वसूली के बिना शहर का विकास नहीं : महापौर
निगम यह स्पष्ट कर चुका है कि तीन फीट ऊंचाई के खुद के ब्रांड या नाम के बोर्ड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। फिर भी मीडिया और व्यापारी संगठन इसे गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं। 2017 से लागू इस टैक्स की वसूली निगम ने इस बार थोड़ी सख्ती से शुरू की है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि कोविड के कारण बीते दो सालों से टैक्स वसूली में रियायत दी गई थी। मगर अब चूंकि जिस तरह आयकर, वाणिज्य कर या अन्य विभाग सख्ती से टैक्स वसूली कर रहे हैं उसी तरह निगम भी अपने टैक्स की वसूली कर रहा है, क्योंकि बिना धन राशि के शहर का विकास नहीं किया जा सकता। जिस तरह सम्पत्ति कर रहवासी चुकाते हैं उसी तरह का यह टैक्स शासन ने ही अधिरोपित किया है, जिसकी वसूली करना निगम की बाध्यता भी है।
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