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सरकारी क्वार्टर में कब्जा जमाए बैठे 17 कर्मचारियों को नोटिस

July 08, 2024

  • कोई रिटायर हो गया तो किसी का तबादला…पर बंगलों का मोह नहीं छोड़ा…

इंदौर। तबादला होने व रिटायर होने के बावजूद इंदौर जिले में 17 कर्मचारियों ने सरकारी आवास पर कब्जा जमा रखा है, जिसके चलते इंदौर में तैनात किए गए कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके हक का निवास नहीं मिल पा रहा है। लंबे समय से आवास के लिए बाट जोह रहे कर्मचारियों को अब आवास मिल सकेगा। प्रशासन ने 12 कर्मचारियों को घर खाली करने के नोटिस थमा दिए हैं। 7 दिन के अंदर यदि खाली नहीं किया जाए तो प्रशासन कार्रवाई मोड में आएगा।

एसडीएम घनश्याम धनगर ने बताया कि जिले में सेवा देने वाले शासकीय कर्मचारियों को आवास की सुविधा दी जाती है। तबादला होने या सेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ कर्मचारी या अधिकारी आवास खाली नहीं करते हैं। लंबे समय तक उनकी जगह तैनात होने वाले अन्य कर्मचारी आवास के लिए इंतजार करते रहते हैं। इस दौरान उन्हें किराए के भवन में भी रहना पड़ता है। लोक निर्माण विभाग के 12 कर्मचारी, जिन्होंने सेवानिवृत्ति या तबादला होने के बाद भी आवास खाली नहीं किए हैं, उन्हें नोटिस जारी कर सात दिनों में आवास खाली करने को कहा गया है।

कर्मचारी की मौत के बाद भी परिवार का कब्जा
उपसंभाग-एक के चौकीदार रहे इंद्रपाल और वाहन चालक गोकुल के परिजनों को दोनों कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी आवास खाली नहीं करने पर नोटिस जारी किया गया है। वहीं स्थाई कर्मी लोक निर्माण विभाग शाखा के रमेश साल्वे एवं सहायक विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग पलासिया शाखा के हेमचंद्र कुमावत को दिए गए आवास खाली करने के निर्देश के साथ ही नोटिस जारी किए गए हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा दिए गए पत्र के अनुसार कुल 17 कर्मचारियों में से 12 कर्मचारियों के अनधिकृत रूप से शासकीय आवास में रहने को लेकर नोटिस जारी जवाब मांगा गया है। 5 ने न्यायोचित जवाब दे दिया।

उच्च अधिकारी भी बंगलों के खाली न होने से रहे परेशान
इंदौर जिला प्रशासन अपने ही पुराने अधिकारियों के कारण बेहद परेशान है। दरअसल हाल ही के दिनों में इंदौर के पूर्व एडीएम एवं वर्तमान झाबुआ कलेक्टर अभय बेड़ेकर, पूर्व एकेवीएन संचालक रोहन सक्सेना, पूर्व एसडीएम अक्षयसिंह मरकाम सहित अन्य कई प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों ने अपना ट्रांसफर अन्य जिलों में होने के बाद भी इंदौर के सरकारी बंगले खाली नहीं किए, जिसके चलते कई अधिकारी रेजीडेंसी में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके चलते एडीएम रोशन राय के आवेदन को 3 बार लौटा दिया गया तो वहीं एडीएम निशा डाबर, जो कि पूर्व में हुए ब्लड कैंसर के चलते सरकारी बंगला नहीं मिलने पर अपने रिश्तेदारों के घर रुकने पर मजबूर थीं, उन्हें भी बड़ी परेशानी हुई।

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