नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मूल स्वरूप में एक के बाद एक म्यूटेशन जारी है। कोरोना के म्यूटेटेड स्वरूप डेल्टा वैरिएंट के कारण आई देश में दूसरी लहर काफी खतरनाक रही थी। डेल्टा वैरिएंट अब एक नए म्यूटेशन के साथ ‘डेल्टा प्लस’ में बदल गया है जिसे विशेषज्ञ कहीं अधिक संक्रामक और खतरनाक मान रहे हैं। वायरस में म्यूटेशन की खबरों के बीच हालिया रिपोर्टस काफी अधिक चौंकाने वाली है।
इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस में एक-दो नहीं सात म्यूटेशन होने का दावा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना का यह नया वैरिएंट काफी संक्रामक और घातक हो सकता है। हालिया रिपोर्टस में बताया जा रहा है कि कोरोना के लैम्बडा वैरिएंट में सात म्यूटेशन देखे गए हैं। सबसे पहले पेरू में मिला कोरोना का यह घातक वैरिएंट अमेरिका और ब्रिटेन सहित दुनियाभर के कई देशों में फैल चुका है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे दुनियाभर में चिंता का कारण बने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से भी खतरनाक मान रहे हैं। ध्यान रहे कोरोना के डेल्टा वैरिएंट में दो ही म्यूटेशन थे, जिस वजह से इसे डबल म्यूटेंट वैरिएंट कहा जाता है। डेल्टा वैरिएंट कितना खतरनाक हो सकता है, भारत में कोरोना की आई दूसरी लहर में इसका प्रमाण मिल चुका है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि अगर दो म्यूटेंट के साथ डेल्टा वैरिएंट इतना खतरनाक हो सकता है तो सात म्यूटेशन वाला लैम्बडा वैरिएंट कितना घातक होगा? आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या कहता है डब्ल्यूएचओ?
कोरोना के लैम्बडा वैरिएंट को लेकर चिंता जताते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख डॉ टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस कहते हैं, यह वैरिएंट काफी अधिक समस्याओं का कारण बन सकता है। कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में इसके अधिक संक्रामक होने की आशंका है। दुनिया के 31 से ज्यादा देशों में यह वैरिएंट फैल चुका है। हमें इससे विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। ब्रिटेन और अमेरिका के साथ इजरायल, स्पेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, टर्की और ऑस्ट्रेलिया में भी इस वैरिएंट के मामले सामने आने की खबर है। फिलहाल लैम्बडा वैरिएंट की संक्रामकता के बारे में जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।
चिंता का विषय बना कोरोना का लैम्ब्डा वेरिएंट
सबसे पहले अगस्त 2020 में पेरू में कोरोना के लैम्ब्डा वेरिएंट का पता चला था और तब से लेकर अबतक यह लगभग 31 देशों में यह फैल चुका है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के इस वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में कई सारे म्यूटेशन देखे गए हैं, जो इसकी ट्रांसमिसिबिलिटी यानी संक्रमकता की दर काफी अधिक बढ़ा देती है। हालिया रिपोर्टस में यूनाइटेड किंगडम में इस वेरिएंट के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। 15 जून, 2021 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के लैम्ब्डा वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया था। वहीं पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने इसे ‘वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
डेल्टा से अधिक खतरनाक हो सकता है लैम्बडा वैरिएंट
पेरू के लीमा स्थित केयेटानो हेरेडिया विश्वविद्यालय में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टर पाब्लो त्सुकायामा कहते हैं, लैम्ब्डा की प्रकृति को देखते हुए इसे कोरोनावायरस के अन्य वैरिएंट्स से अधिक संक्रामक माना जा सकता है। डॉ पाब्लो कहते हैं, दिसंबर में 200 सैंपलों में से लैम्ब्डा वैरिएंट के सिर्फ एक मामले सामने आते थे, जो मार्च में बढ़कर 50 फीसदी और जून तक 80 फीसदी हो गया गया है। पीर रिव्यू के लिए भेजे गए एक अध्ययन में कहा गया है कि लैम्ब्डा वेरिएंट अल्फा और गामा वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है।
भारत के लिए कितनी चिंता?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक चूंकि अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ यातायात जारी है ऐसे में भारत में भी लैम्बडा वेरिएंट के मामले सामने आ सकते हैं। कोई भी संक्रामक वायरस कदम दर कदम फैलता है। फिलहाल भारत ने लैम्ब्डा वैरिएंट से संक्रमण के मामले नहीं हैं, लेकिन जारी अंतरराष्ट्रीय यातायात के साथ हम भविष्य में इसकी आशंका से इंकार नहीं कर सकते हैं। संक्रमण के शिकार देशों से आने वाले लोगों की विशेष जांच और उनके क्वारंटीन की उचित व्यवस्था करना बेहद आवश्यक है।
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