मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को प्रचंड जीत मिली. इस महाविजय ने पार्टी को एक ऐसा सिरदर्द भी दिया जिसे ठीक करना उसके लिए चुनौती बन गया है. वो जीत के हीरो देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को राज्य की कमान दे या सहयोगी शिवसेना के एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) को. पार्टी आलाकमान में इसी को लेकर चर्चा चल रही है. महाराष्ट्र बीजेपी के नेता फडणवीस और शिवसेना के नेता शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. नेताओं की मांग और आलाकमान के मंथन के बीच देवेंद्र फडणवीस सीएम पद के मजबूत दावेदार हैं. इसकी वजह सिर्फ चुनाव में मिली महाजीत ही नहीं है.
देवेंद्र फडणवीस ने अपने सियासी करियर की शुरुआत ABVP से की. उनके पिता भी संगठन से जुड़े रहे. फडणवीस पुराने भाजपाई हैं. वह महाराष्ट्र में पार्टी का चेहरा है. 2014 में उन्हें राज्य की कमान सौंपी गई थी. उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया था, जो इतिहास है. इसके बाद बीजेपी ने जब शिंदे के साथ सरकार बनाई तो फडणवीस को डिप्टी की जिम्मेदारी दी.
महाराष्ट्र में फडणवीस के कद और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी को देखते हुए RSS सीएम पद के लिए उनका समर्थन भी किया है. संघ के एक पदाधिकारी ने एक मीडिया हाउस को बताया कि फडणवीस सभी विधायकों के नेता रहे हैं. उनके चेहरे के कारण ही बीजेपी को लोगों का सपोर्ट मिला. अगर उन्हें जिम्मेदारी दी गई तो इससे महाराष्ट्र में बीजेपी-आरएसएस का तालमेल भी मजबूत होगा.
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग के बाद देवेंद्र फडणवीस नागपुर में संघ मुख्यालय पहुंचे थे, जहां उन्होंने मोहन भागवत से मुलाकात की थी. बीजेपी की जीत में संघ का अहम रोल भी रहा. आरएसएस ने बीजेपी के पक्ष में जनमत तैयार करने के लिए व्यापक संपर्क अभियान चलाया था. चुनावों से पहले, आरएसएस ने ये अभियान शुरू किया था. फडणवीस ने कहा भी था कि उन्होंने लोकसभा चुनावों में राज्य में बीजेपी की सीट कम होने के बाद विधानसभा चुनावों में लड़ने के लिए संघ से मदद मांगी थी.
महायुति की अहम पार्टी एनसीपी (अजिट गुट) के नेता अजित पवार सीएम पद के लिए देवेंद्र फडणवीस के लिए आवाज उठा रहे हैं. दरअसल, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच अच्छे संबंध हैं. 2019 में जब बीजेपी ने कुछ घंटे के लिए सरकार बनाई थी तब अजित पवार ही डिप्टी सीएम बने थे.
अगर एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया गया तो शिवसेना को एनसीपी पर स्पष्ट बढ़त मिल जाएगी, जिससे अजित शायद ही स्वीकार करें. एनसीपी नेताओं का कहना है कि आंतरिक बैठकों में फडणवीस को समर्थन देने पर सहमति बनी. पार्टी के वरिष्ठ नेता छग्गन भुजबल ने कहा, ऐसा कोई कारण नहीं है कि हम सीएम के रूप में फडणवीस का विरोध करें. एनसीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी ने बीजेपी नेतृत्व को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि सीएम के रूप में फडणवीस को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
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