नई दिल्ली: कोविड के आने से पहले चीन ‘दुनिया का कारखाना’ कहलाता था. कोविड के दौरान दुनिया के तमाम देशों की चीन पर निर्भर सप्लाई चेन जब बाधित हुई तो चीन के विकल्प की तलाश भी साथ शुरू हो गई. अब जब कोविड का ओमिक्रोन वैरिएंट चीन में अपने पांव पसार रहा है और वहां के मैन्युफैक्चरिंग हब शंघाई और गुआंगडोंग प्रांत में हालात बिगड़ते जा रहे हैं, तब वियतनाम अचानक से ‘दुनिया का नया कारखाना’ बनता जा रहा है.
वियतनाम ऐसे बन रहा ‘नया कारखाना’
मैन्युफैक्चरिंग करने वाली तमाम कंपनियां अब वियतनाम का रुख कर रही हैं. अगर ऐसा हो रहा है तो इसकी कई वजह हैं… सबसे पहली वियतनाम की स्ट्रैटेजिक लोकेशन. वियतनाम दुनिया के प्रमुख समुद्री व्यापार मार्ग पर पड़ता है. इसके अलावा यहां जमीन खरीदना सस्ता है. श्रमिकों का मेहनताना कम है. इससे कंपनियों के लिए फैक्टरी या गोदाम की ऑपरेशनल कॉस्ट कम आती है. ऐसे में आने वाले समय में वियतनाम चीन का विकल्प बन सकता है.
बन सकता है चीन के लिए खतरा
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वियतनाम के पहली तिमाही के आर्थिक आंकड़े दिखाते हैं कि महामारी (कोविड) के बीच भी उसकी तरक्की बराबर होती रही. वियतनाम के सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के हिसाब से 2022 की पहली तिमाही में वियतनाम की अर्थव्यवस्था सालाना आधार पर 5.03% की दर से बढ़ी जबकि इसी दौरान चीन की आर्थिक वृद्धि दर 4.8% रही.
इतना ही नहीं वियतनाम का विदेश व्यापार पहली तिमाही में बढ़कर 176.35 अरब डॉलर रहा, जो सालाना आधार पर 14.4 फीसदी अधिक है. वहीं इस दौरान का विदेश व्यापार युआन मुद्रा में सिर्फ 10.7% ही बढ़ा है. कई विदेशी निवेशक और अन्य विदेशी मालिकाना हक वाली कंपनियां वियतनाम के बाजार में पैसा इन्वेस्ट कर रही हैं.
चीन के नक्शे कदम पर चला वियतनाम
चीन ने अपने यहां आर्थिक सुधार 1978 में शुरू किए और अपनी अर्थव्यवस्था को खोलना शुरू किया. वियतनाम ने भी चीन के नक्शे कदम पर चलते हुए 1986 में खुद के बाजार सुधार कार्यक्रम Doi Moi को शुरू किया था. पिछले दशकों में दोनों ही देशों की आर्थिक वृद्धि दर उल्लेखनीय रही है, लेकिन साल 2018 में चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुए व्यापार युद्ध के बाद वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों को इसका सबसे अधिक फायदा मिला है.
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