भोपाल। सात साल पहले विवादों में रही आईटी एक्ट (IT Act) की धारा 66-ए को खत्म करने के बाद एक बार फिर मामला गर्माया है कि कई राज्यों में अभी भी इस धारा में केस दर्ज किए जा रहे हैं। केंद्र ने कहा है कि ऐसे केसों को तुरंत वापस लिया जाए व आगे से इस धारा में केस दर्ज न किए जाएं। इसे लेकर केंद्र ने मप्र सहित सभी राज्यों के मुख्य सचिवों व डीजीपी (DGP) को नोटिस भी भेजे हैं। मप्र में राहत का एक पहलू यह कि राज्य सायबर सेल (Cyber Cell) में धारा 66-ए खत्म होने के बाद एक भी केस दर्ज नहीं किया गया है जबकि सभी जिलों के थानों में इसे लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।
हाल ही में इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एतराज जाहिर किया है कि अभी भी पुलिस अधिकारी इस धारा में केस दर्ज कर रहे हैं। सभी राज्यों को कहा गया है कि वे थानों को निर्देश दें कि इस धारा में केस दर्ज नहीं किए जाएं। अगर कोई केस हो तो उसे वापस लिया जाएं। बहरहाल, 2015 में जब यह धारा खत्म की गई थी, तब से लेकर अब तक इंदौर स्थित राज्य सायबर सेल (Cyber Cell) में एक भी केस दर्ज नहीं है। एसपी जितेंद्रसिंह (SP Jitendra Singh) ने बताया कि आदेश के बाद इंदौर-उज्जैन में एक भी केस दर्ज नहीं किया। एडीजी (Cyber Cell) योगेश चौधरी (Yogesh Choudhary) ने बताया कि बीते छह साल में मप्र में सायबर सेल ने इस धारा एक भी केस दर्ज नहीं किया गया। चूंकि थाना पुलिस भी इस धारा में केस दर्ज करती है तो इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे कितने केस हैं और कितने मामले कोर्ट में चल रहे हैं इसकी जानकारी स्टेट साइबर रिकॉड्र्स ब्यूरो (State Cyber Records Bureau) में है।
क्या है धारा 66-ए और क्यों खत्म की गई थी
सोशल मीडिया या किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर किसी के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट वायरल करने के मामले में 2008 में आईटी की धारा 66 में संशोधन करके धारा 66-ए को जोड़ा गया जो फरवरी 2009 में लागू हो गया था। इसमें दोष सिद्ध पर 3 साल की जेल या 5 लाख रुपये का जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान था। वैसे मुख्य तौर पर मामला शिवसेना चीफ रहे बाल ठाकरे के निधन सहित अन्य घटनाक्रमों से जुड़ा है। ठाकरे के निधन के बाद मुंबई का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। इसे लेकर फेसबुक पर टिप्पणी की गई। तब महाराष्ट्र पुलिस ने टिप्पणी करने वालों को खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत केस दर्ज किए। तब लॉ स्टूडेंट श्रेया सिंघल ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और अपनी याचिका में धारा 66ए को खत्म करने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में फैसला दिया कि आईटी एक्ट की धारा 66ए संविधान सम्मत नहीं है, इसलिए इसे निरस्त किया जाता है।
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