कोलकाता। भाजपा की सदस्यता लेने के बाद राज्य के कद्दावर मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर तीखा प्रहार किया है। शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि अगर भाजपा का सहारा नहीं मिलता तो तृणमूल कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं होता। दरअसल अपने शुरुआती दिनों में ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में थी और एनडीए का हिस्सा थीं।
33 वर्षों के माकपा शासन को खत्म करने के लिए ममता ने एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जिसके बाद 2011 में सत्ता पर आई थी। पूर्वस्थली की सभा में शुभेंदु अधिकारी के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष भी मौजूद थे। सीधे तौर पर ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता अपने दम पर मुख्यमंत्री नहीं बनी हैं बल्कि नंदीग्राम आंदोलन के बल पर उन्हें सत्ता मिली थी।
उन्होंने कहा कि अगर अपने दम पर मुख्यमंत्री बन सकती थीं तो 2001 में ही बन जातीं। नंदीग्राम के लोग सब कुछ जानते हैं। उन्होंने कहा कि 1997 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना के बाद विधानसभा वोट हुए थे। उसके बाद 1998 में पंचायत वोट और उसके बाद लोकसभा का चुनाव हुआ था। तब ममता बनर्जी किसके साथ थीं?
सब जानते हैं कि उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी और अगर उन्होंने ममता को आश्रय नहीं दिया होता तो 2001 में तृणमूल कांग्रेस का राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो गया होता। उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने ममता को संरक्षण दिया। इसके बाद उन्होंने गाय तस्करी और कोयला तस्करी को लेकर सीएम के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि वसूली करने वाले भतीजे को हटाओ। भतीजा हर तरह की तस्करी से जुड़ा हुआ है। अब अगर 2021 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बन गई तो केवल किडनी की तस्करी बाकी रह गई है। वह भी होने लगेगा।
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा उन्हें लगातार विश्वासघाती कहे जाने को लेकर भी उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मैं विश्वासघाती या मीरजाफर नहीं हूं। जिनका अपना आत्म सम्मान है वे तृणमूल में नहीं रहेंगे। यह कोई पार्टी नहीं है बल्कि एक कंपनी बन गई है। उन्होंने कहा कि बंगाल में फिलहाल परिवर्तन जरूरी है और इसके लिए साधारण कार्यकर्ता के तौर पर काम करूंगा। (एजेंसी, हि.स.)
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