– सपा, बसपा और कांग्रेस मुसलमानों को रिझाने की कर रहीं भरपूर कोशिश
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को 107 उम्मीदवारों की प्रथम सूची जारी की। इसमें एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं है। वहीं, सपा, बसपा और कांग्रेस मुस्लिम वर्ग को रिझाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं। भाजपा ने कहा कि जिन सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए हैं, उन पर एक भी जिताऊ मुस्लिम चेहरे ने टिकट की दावेदारी नहीं की थी।
उत्तर प्रदेश की सियासत में चार प्रमुख दलों में से तीन पार्टियों का अल्पसंख्यकों की तरफ खास झुकाव दिख रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) मुसलमानों को अपने पाले में करने की भरपूर कोशिश कर रही हैं। सपा की कोशिश है कि पूरा अल्पसंख्यक समाज उसके साथ जुड़कर रहे। उसके बगैर सपा के सामने 2022 के लक्ष्य को हासिल कर पाना चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसे में कांग्रेस और बसपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी है। इन दलों का भी मुसलमानों को अधिक से अधिक टिकट देने का प्रयास है।
दूसरी तरफ भाजपा अकेले खड़ी है। भाजपा की शनिवार को जारी सूची में 60 फीसदी दलित और पिछड़े चेहरे दिखाई दे रहे हैं। 10 महिलाओं को भी भाजपा ने टिकट दिया है। पार्टी ने एक ओर जहां बहुसंख्यकों के बीच भारी संतुलन बनाने की कोशिश की है, वहीं अल्पसंख्यकों को एक भी सीट नहीं दिया है। माना जा रहा है कि भाजपा ने मुसलमानों को एक भी टिकट न देकर बहुसंख्यकों में संदेश देने की कोशिश की है। इसका प्रमाण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक वक्तव्य में दिखता है। पिछले दिनों एक टीवी चैनल की डिबेट में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने 80 बनाम 20 का चुनाव होने का दावा किया था। हालांकि उनके हिसाब से यह 20 फीसदी वह लोग हैं जो अपराध, अपराधी, आतंकियों का साथ देते हैं और भ्रष्टाचार करके गरीबों का हक मारते हैं। उन्होंने कहा था कि उन 20 फीसदी लोगों का भाजपा को वोट नहीं मिलेगा। उनके लिए हम अपना सिर कटाकर तस्तरी में पेश कर देंगे, तो भी वह लोग भाजपा को वोट नहीं देंगे।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि जिन सीटों पर हमने उम्मीदवार घोषित किये थे, उन सीटों पर एक भी जिताऊ मुस्लिम चेहरे ने टिकट की मांग नहीं की थी। वैसे भी हमारा मानना है कि अल्पसंख्यकों की भागीदारी केवल टिकट से नहीं तय होती है। भाजपा सरकार की किसी भी योजना में कोई भेदभाव नहीं किया गया है। उनमें समान रूप से उन्हें भी लाभ मिला है। बल्कि यह कहें कि केन्द्र और राज्य सरकार की ज्यादातर योजनाओं में अल्पसंख्यक ज्यादा संख्या में लाभान्वित हुए हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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