गुवाहाटी । भारतीय रेल के विजन दस्तावेज–2020 के अनुसार सरकार वर्ष 2020 तक सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को रेल द्वारा जोड़ने की योजना बनाई थी। अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल ने सम्पूर्ण पूर्वोत्तर राज्यों में (सिक्किम को छोड़कर) रेल सम्पर्क का प्रावधान किया है। पश्चिम बंगाल के सिवोक से रंगपो तक नई लाइन की अनुमति के साथ दिसम्बर, 2020 तक सिक्किम को भी रेल के साथ जोड़े जाने की उम्मीद है।
बुनियादी ढांचो तथा सुरक्षा परियोजनाओं के त्वरित निष्पादन पर केंद्र सरकार द्वारा पिछले 05 वर्षों में काफी बल दिया गया। अवसंरचना परियोजनाओं पर व्यय किए जाने वाले कोष में भी उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
पूर्वोत्तर राज्यों में तेज संयोजकता प्रदान करने के उद्देश्य से भारतीय रेल ने सुरंग बनाने के कार्य को वर्ष 2009-14 में सिर्फ 31.7 किमी की तुलना में वर्ष 2014-19 के दौरान 54.324 किमी किया जो तुलनात्मक दृष्टिकोण से दोगुना है।
वर्ष 2009-13 के दौरान 10612 करोड़ की तुलना में वर्ष 2014-18 के दौरान नई लाइन, गेज परिवर्तन, दोहरी लाइन अवसंरचना परियोजनाओं पर संचित व्यय 25908 करोड़ किया गया, जो वर्ष 2009-13 के दौरान किए गए व्यय से करीब 144 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2009-14 तक प्रतिवर्ष पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए औसतन आवंटन 2122.40 करोड़ था। हालांकि, वर्ष 2014-19 के दौरान इस क्षेत्र के लिए इसे 144 प्रतिशत बढ़ाकर 5181.60 करोड़ कर दिया गया।
असम, अरुणाचल प्रदेश तथा त्रिपुरा राज्यों की राजधानियों को पहले की ब्रॉड गेज (बीजी) रेल नेटवर्क द्वारा जोड़ जा चुका है। जबकि, मणिपुर की राजधानी को दिसम्बर, 2022 तक जोड़े जाने की उम्मीद है, मिजोरम तथा नगालैंड की राजधानियों को मार्च, 2023 तक रेल नेटवर्क के साथ जोड़ दिया जाएगा।
मेघालय की राजधानी को रेल नेटवर्क से जोड़ने के लिए बीजी लाइन की दो परियोजनाओं का कार्य आरम्भ किया गया है। नई बीजी लाइन परियोजना में असम के तेतेलिया से मेघालय के बर्निहाट तक कुल 21.50 किमी लंबाई में से करीब 10 किमी असम के हिस्से में आता है। तेतेलिया से कमलाजारी तक का कार्य अक्टूबर, 2018 में पूरा हो गया। इस परियोजना को पूरा करने की निर्धारित तारीख मार्च, 2022 है। मेघालय की राजधानी को जोड़ने के लिए बर्निहाट से शिलांग तक (108.40 किमी) नई बीजी लाइन के लिए कार्य को वर्ष 2010-11 में अनुमोदित कर दिया गया था। मेघालय में विभिन्न संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शऩ करने के कारण परियोजना की प्रगति का कार्य प्रभावित हुआ है।
पूर्वोत्तर राज्यों के सभी राजधानियों के रेल सम्पर्क शुरू होने के साथ ही इस क्षेत्र की सामजिक-आर्थिक विकास तथा भारत के शेष हिस्सों के साथ एकीकरण नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेगी।
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