नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा है कि शांति निकेतन में उनके अधिकार वाली जमीन रिकॉर्ड में दर्ज है और पूरी तरह से लंबी अवधि के लिए लीज पर है। वह उन खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिनमें कहा गया था कि विश्व भारती ने उनका नाम उन लोगों की सूची में शामिल किया है, जिन्होंने गैर कानूनी ढंग से अतिरिक्त जमीन पर कब्जा कर रखा है। सेन ने उन मीडिया रिपोर्टों का जिक्र करते हुए, जिनमें कहा गया है विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती परिसर में पट्टे की जमीन पर अवैध कब्जे को हटाने की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं और उनका (सेन) नाम भी कब्जा करने वालों की सूची में रखा गया है
, एक बयान में कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय ने जमीन के अधिकार को लेकर किसी तरह की अनियमितता के संबंध में कोई शिकायत उनसे या उनके परिवार से नहीं की है। नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि विश्व भारती भूमि, जिस पर उनका घर स्थित है, पूरी तरह से लंबे समय के लिे लीज पर है है और इसकी अवधि समाप्त होने के आसपास भी नहीं है। उन्होंने कहा, ”अतिरिक्त भूमि मेरे पिता ने पूर्ण स्वामित्व के रूप में खरीदी थी और मौजा सुरुल के तहत भूमि रिकॉर्ड में दर्ज की गई थी।” सेन के साथ खड़ी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांतिनिकेतन में विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री की पारिवारिक संपत्तियों को लेकर हाल के घटनाक्रमों पर नाराजगी जताई थी।
बनर्जी ने सेन को ”असहिष्णुता के खिलाफ लड़ाई में उन्हें अपनी बहन या दोस्त मानने को कहा था। उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों ने शांतिनिकेतन में सेन की पारिवारिक संपत्तियों के बारे में पूरी तरह से आधारहीन आरोप लगाना शुरू कर दिया है।” भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा था कि नोबेल विजेता और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री को यह देखना चाहिए कि कुछ ताकतों द्वारा उनका राजनीतिक हित साधने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाए। उन्होंने कहा, ”हम उनसे वैचारिक रूप से असहमत हो सकते हैं लेकिन हमारे मन में उनके प्रति सम्मान है। हम उनसे पश्चिम बंगाल में विकास विरोधी राजनीतिक ताकतों द्वारा इस्तेमाल नहीं होने का आग्रह करते हैं।”