नई दिल्ली: दो साल की पैदल पदयात्रा के बाद 2 अक्टूबर को प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) नई पार्टी जन सुराज लॉन्च करेंगे. बिहार की राजधानी पटना स्थित वेटनरी कॉलेज (Veterinary College, Patna) में इसका आयोजन किया जाएगा. नई पार्टी के लॉन्चिंग की पूरी तैयारी भी हो गई है. सिंबल से लेकर संविधान तक फाइनल कर लिए गए हैं. जन सुराज से जुड़े सूत्रों के मुताबिक संविधान तैयार है और इसे फाइनल रूप दिया जा रहा है. जन सुराज के संविधान में पहली बार 2 बड़ी व्यवस्था की गई है. पहली व्यवस्था चुनाव लड़ने की न्यूनतम अर्हता है और दूसरी व्यवस्था राइट टू रिकॉल की है. देश के इतिहास में इन दोनों व्यवस्था को किसी भी पार्टी ने लागू नहीं किया है.
जन सुराज के संविधान में क्या-क्या है?
1. दल का नाम जन सुराज होगा, जो राष्ट्रीय स्तर की पार्टी होगी. चुनाव आयोग में इस दल का रजिस्ट्रेशन हो चुका है. मार्च में आयोग ने दल को सेब सिंबल प्रदान किया था. हालांकि, अब सिंबल को लेकर नए सिरे से विचार विमर्श किया जा रहा है.
2. राष्ट्रीय स्तर पर दल में एक अध्यक्ष होंगे. अध्यक्ष के बाद संगठन महासचिव का पद निर्मित किया गया है. इसके अलावा दल में उपाध्यक्ष और सचिव का भी पद होगा. राष्ट्रीय स्तर पर सेंट्रल कमेटी सबसे पावरफुल होगी. कमेटी में 19-21 मेंबर होंगे.
3. सेंट्रल कमेटी ही सभी बड़े फैसले लेगी. कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर भी इसके सदस्य हो सकते हैं. सेंट्रल कमेटी में सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित हो, इस पर काम चल रहा है.
4. टिकट को लेकर पार्टी ने अपने संविधान में न्यूनतम अर्हता तय किया है. सूत्रों के मुताबिक 10वीं पास व्यक्ति ही विधायकी के टिकट के लिए दावेदारी कर सकता है. पहले पार्टी 12वीं का मापदंड रखने जा रही थी, लेकिन कुछ सदस्यों का कहना था कि इससे दलित और वंचित वर्ग के लोग राजनीति में नहीं आ पाएंगे.
5. जन सुराज के संविधान में राइट टू रिकॉल की व्यवस्था की गई है. इसके तहत जो जीते हुए प्रतिनिधि अपना वादा नहीं निभा पाएंगे, उन्हें पद छोड़ना होगा. अन्ना आंदोलन के वक्त इसकी चर्चा तेज हुई थी, लेकिन किसी भी पार्टी ने तब इसे लागू नहीं किया.
6. जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन की शक्ति को दो भागों में बांटा गया है. एक मुख्य संगठन होगा और दूसरा अभियान समिति. अभियान समिति मुद्दों को लेकर लोगों तक जाएगी. संगठन फीडबैक और अन्य जरूरी कामों को देखेगी.
7. जन सुराज के संविधान में फ्रंटल संगठन का भी जिक्र है. वर्तमान में 3 (महिला, युवा और किसान) फ्रंटल संगठन जन सुराज के भीतर होगा. आने वाले वक्त में इसे बढ़ा भी सकती है.
2 अक्तूबर को पटना में जन सुराज के नाम का आधिकारिक ऐलान किया जाएगा. इसी मीटिंग में अध्यक्ष के नाम की भी घोषणा होगी. जन सुराज में अध्यक्ष की पहली कुर्सी दलित समुदाय के राजनेता को मिलेगी. कहा जा रहा है कि अध्यक्ष के लिए अभी 3 दावेदार रेस में सबसे आगे हैं, लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी है.
दूसरे साल में अध्यक्ष की कुर्सी अति पिछड़ा वर्ग और तीसरे साल में मुस्लिम समुदाय को सौंपी जाएगी. चौथे साल में पिछड़े समुदाय को अध्यक्ष की कुर्सी मिलेगी. पांचवें साल में सवर्ण समुदाय के राजनेता अध्यक्ष बनेंगे. जन सुराज ने स्थापना के बाद से ही 1 करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में बिहार में करीब 12 करोड़ आबादी है. चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार कुल मतदाताओं की संख्या 7 करोड़ 64 लाख 33 हजार 329 है. इनमें 4 करोड़ 29 लाख पुरुष और 3 करोड़ 64 लाख महिला मतदाता है.
जन सुराज पार्टी सबसे पहले बिहार में विधानसभा उपचुनाव के जरिए चुनावी मैदान में उतरेगी. बिहार में 4 सीटें अभी रिक्त है, जिन पर इस साल के अंत में विधानसभा के उपचुनाव प्रस्तावित हैं. पीके ने हाल ही में इसकी घोषणा भी की थी. बिहार में जिन 4 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें कैमूर की रामगढ़, गया की ईमामगंज व बेलागंज और भोजपुर की तरारी सीट शामिल हैं.
जन सुराज से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर इसके जरिए सियासत का लिटमस टेस्ट करना चाहते हैं. साल 2000 के बाद से गठित कोई भी दल बिहार में पांव नहीं जमा पाया है. ऐसे में प्रशांत के लिए इसे बड़ी चुनौती माना जा रहा है. पीके बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर फोकस कर रहे हैं. बिहार में अक्तूबर 2025 में विधानसभा की 243 सीटों पर मतदान प्रस्तावित है.
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