नई दिल्ली (New Delhi)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि केंद्रीय बजट (Union Budget) में किसी भी राज्य की अनदेखी नहीं की गई है। उन्होंने विपक्षी नेताओं (Opposition leaders) के उस दावे को भ्रामक बताया कि यदि बजट भाषण में किसी राज्य का नाम नहीं लिया जाता, तो उसे कोई बजटीय आवंटन नहीं मिलता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने और विदेशी निवेशकों को यह संदेश देने की साजिश की जा रही है कि देश निवेश के लिए सुरक्षित नहीं है।
लोकसभा (Lok Sabha) में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि किसी भी राज्य को धन देने से इनकार नहीं किया गया है। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व की यूपीए सरकार के बजट भाषण में भी सभी राज्यों के नामों का उल्लेख नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, मैंने 2004 से 2008 तक के सभी बजट भाषण सुने। किसी में भी सभी राज्यों के नाम नहीं थे। 2004-05 में 17 राज्यों का नाम नहीं लिया गया था। मैं तत्कालीन यूपीए सरकार के सदस्यों से पूछती हूं कि क्या उन 17 राज्यों को पैसा नहीं दिया गया? क्या उन्होंने इसे रोक दिया? कई विपक्षी सदस्यों ने दावा किया था, सिर्फ बिहार व आंध्र प्रदेश के लिए फंड दिए गए, अन्य राज्यों को कुछ भी नहीं मिला। निर्मला इन्हीं टिप्पणियों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा, भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली वैश्विक अर्थव्यवस्था है। भारी पूंजीगत खर्च के कारण महामारी के बाद के प्रभावों पर काबू पा लिया गया है। सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का अनुपालन कर रही है। यह चालू वित्त वर्ष के लिए लक्षित 4.9% से 2025-26 तक घाटे को 4.5% से नीचे ले आएगा। 2023-24 में घाटा 5.6 फीसदी था।
निर्मला ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए पूछा, राजीव गांधी फाउंडेशन में कितने एससी हैं? कुल नौ लोग हैं, मगर एससी कोई नहीं है। राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में 5 लोग हैं, वहां भी कोई एससी नहीं है। राहुल ने दावा किया था कि बजट बनाने वाले 20 अफसरों में से एससी एक भी नहीं है।
वित्त मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू का एक कोट पढ़ा, जिसमें उन्होंने आरक्षण का विरोध किया था। उन्होंने कहा, मंडल कमीशन की रिपोर्ट को इंदिरा सरकार ने किनारे कर दिया था। यह वही कांग्रेस है, जिसका नारा था…न जात पर न पात पर मुहर लगेगी हाथ पर। और आज फोटो दिखाकर ओबीसी, एससी, एसटी के बारे में पूछा जा रहा है। निर्मला ने कहा, पूर्व पीएम राजीव गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था, आरक्षण के नाम पर मूर्खों को प्रोन्नत नहीं किया जाएगा। (नो प्रमोशन ऑफ इडियट्स इन द नेम ऑफ रिजर्वेशन।)
ग्रामीण विकास : यूपीए में 12 हजार…अब 2.66 लाख करोड़
वित्तमंत्री ने कहा, ग्रामीण विकास के लिए इस वर्ष 2.66 लाख करोड़ रखे गए हैं। यह पिछले साल से 11.7% ज्यादा है। यूपीए के समय शहरी विकास के लिए 2013-14 में सिर्फ 12,000 करोड़ रुपये था।
मुख्य फोकस : सामाजिक व भौगोलिक समावेशिता
वित्तमंत्री ने कहा कि सामाजिक समावेशिता और भौगोलिक समावेशिता बजट के दो मुख्य फोकस हैं। व्यय में तेजी से वृद्धि हुई है। यह अब 48.23 लाख करोड़ रुपये है।
स्वास्थ्य क्षेत्र : खर्च 72,000 करोड़ से बढ़कर 1.46 लाख करोड़ रुपये हो गया है। बजट में पिछले साल की तुलना में कहीं भी कम आवंटन नहीं किया गया है।
पूंजीगत व्यय : वित्त मंत्री ने कहा, 48.21 लाख करोड़ के बजट में से पूंजीगत व्यय के लिए 11.11 लाख करोड़ आवंटित किए हैं।
तथ्य : 2014 से 2023 तक 12.5 करोड़ नौकरियां
वित्तमंत्री ने कहा, जुलाई में जारी एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने 2014 से 2023 के बीच 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा कीं। यूपीए सरकार के 10 साल के दौरान यह संख्या सिर्फ 2.9 करोड़ थी। कोरोना के बाद बेरोजगारी दर घटी है। यह 2017-18 में 6% से 2022-23 में 3.2% के निचले स्तर पर आ गई है। 15-29 वर्ष के आयु वर्ग के लिए युवा बेरोजगारी 2017-18 में 17.8% से 2022-23 में 10 फीसदी हो गई।
सवाल करने वालों को जवाब सुनने की आदत नहीं
वित्तमंत्री ने कहा कि बिना विरोध के कोई भी बहस नहीं होती। पीएम बोलने के लिए खड़े हुए तो सबसे अधिक व्यवधान हुआ। अफसोस है कि सवाल करने वालों को जवाब नहीं सुनना।
यूपीए सरकार के साल-दर-साल बजट से गायब थे कई राज्यों के नाम
वित्त मंत्री ने कहा, यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल में 2004-05 में वित्त मंत्री ने 17 राज्यों का नाम नहीं लिया। क्या उन राज्यों को पैसा नहीं मिला। 2005-2006 में 18, 2006-2007 में 13 राज्यों का नाम नहीं गिनाया। 2007-2008 में 16 राज्यों, 2008-2009 में 13 राज्यों का नाम नहीं था। 2009-2010 में 26, 2010-2011 में 19राज्यों के नाम शामिल नहीं थे।
सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए बजट बढ़ा
सीतारमण ने बताया कि विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए पिछले साल की तुलना में बजट आवंटन बढ़ा है। 2013-14 में कृषि और संबद्ध क्षेत्र का आवंटन 30,000 करोड़ रुपये था, जबकि अब यह 1.52 लाख करोड़ रुपये है। यह पिछले साल की तुलना में 8,000 करोड़ अधिक है।
शिक्षा, रोजगार और कौशल क्षेत्र में 2013-14 में 85,000 करोड़ आवंटित किए गए थे। अब यह 1.48 लाख करोड़ रुपये है। यह पिछले साल की तुलना में 23 फीसदी और 28,000 करोड़ अधिक है। महिलाओं और लड़कियों के लिए 3.27 लाख करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह पिछले साल की तुलना में 96,000 करोड़ अधिक हैं। वित्तमंत्री ने कहा, सरकार का खर्च तेजी से बढ़कर 48.21 लाख करोड़ हो गया है। 2023-24 में इसमें 7.3 फीसदी और 2023-24 के पूर्व-वास्तविकों की तुलना में 8.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है।
हलवा सेरेमनी : यह एक भावनात्मक पहलू
राहुल गांधी के बजट का हलवा वाले बयान पर उन्होंने कहा, यह वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए भावनात्मक मामला है, जो बजट प्रस्तावों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए पांच रातें और चार दिन क्वारंटीन में बिताते हैं। आप इतने भावनात्मक मामले को हल्के में कैसे ले सकते। हलवा सेरेमनी की फोटो पर कहा कि यह परंपरा 2013-14 में यूपीए ने शुरू की थी। निर्मला ने पूछा, तब उस फोटो में कितने एससी, एसटी और ओबीसी थे? इसे तब क्याें नहीं खत्म कर दिया गया।
जम्मू-कश्मीर : 17,000 करोड़ का बजट मंजूर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बजट में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को 17,000 करोड़ रुपये की पर्याप्त वित्तीय सहायता दी गई है। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस की लागत के वित्तपोषण के लिए 12,000 करोड़ शामिल हैं। यह वह बोझ है जिसे हम अपने कंधों पर लेना चाहते हैं। लोकसभा ने 2024-25 के लिए जम्मू-कश्मीर के बजट को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
विपक्ष के हर मुद्दे का दिया जवाब
वित्त मंत्री ने कहा, प. बंगाल की सीएम और वित्त मंत्री भी कलकत्ता विवि से पढ़े हैं (हार्वर्ड या ऑक्सफोर्ड से नहीं)। मैं पूछना चाहती हूं कि क्या वे भी विचारों से रहित हैं? बंगाल की धरती से, जिसने हमें वंदे मातरम दिया, आज हमारे पास प्रोफेसर सौगत रॉय (तृणमूल सांसद)
हैं, जिन्होंने टिप्पणी की थी कि मैं नए विचारों से वंचित हूं, क्योंकि मैं जेएनयू से हूं, हार्वर्ड या ऑक्सफोर्ड से नहीं…। निर्मला ने कहा, वह खुद एक भारतीय विवि में पढ़ाते हैं। उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए।
हार्वर्ड-ऑक्सफोर्ड से पढ़ने वालों की सरकार में चरम पर थी महंगाई : वित्तमंत्री ने महंगाई पर कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड से पढ़ने वालों की सरकार में 2008 में ग्लोबल फाइनेंस क्राइसिस महंगाई चरम पर थी। अटल सरकार में महंगाई 3% के आसपास थी, जो यूपीए सरकार में 8.1 फीसदी पर पहुंच गई। कांग्रेस आई और महंगाई लाई।
एससी, एसटी को कम बजट पर बोलीं- घपले खुद की सरकार कर रही, पाठ हमें पढ़ा रहे
वित्तमंत्री ने एससी-एसटी की अनदेखी के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, घपले खुद की सरकार में हो रहे और पाठ हमें पढ़ाया जा रहा। उन्होंने कर्नाटक में एससी-एसटी सबफंड से पैसे निकाले जाने का जिक्र किया और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी से कहा कि आप अपने नेता से पूछो कर्नाटक में एससी की हालत कैसी है। वित्तमंत्री ने कहा, एसटी के लिए 2023-24 के बजट में 1,19,706 करोड़ के मुकाबले इस बार 1,24,909 करोड़ रुपये दिए गए।
तृणमूल पर भड़कीं
तृणमूल कांगेस पर निशाना साधते हुए वित्तमंत्री ने कहा, दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल को कुछ नहीं दिया गया है। पीएम मोदी की दी गई कई योजनाएं बंगाल में लागू भी नहीं की गईं और अब सवाल पूछने की हिम्मत दिखा रहे।
मोदी ने की जवाबी भाषण की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में वित्तमंत्री के बचट पर चर्चा का जवाब देने वाले भाषण की तारीफ की। उन्होंने भाषण का लिंक भी साझा किया। मोदी ने लिखा, वित्तमंत्री ने इस साल के बजट की बहुत व्यापक तस्वीर पेश की है।
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