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    UP में बीजेपी के मंथन से नहीं निकला हल, असंतुष्टों का बढ़ गया मनोबल

  • July 16, 2024

    लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में नतीजे बेहतर नहीं आए, जिससे एक बात साफ हो गई है कि सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में उम्मीद थी कि चुनाव में मिली पराजय के कारणों पर मंथन होगा और उन सवालों पर बात होगी, जिसके कारण बीजेपी यूपी में पहले नंबर से दूसरी पर पहुंच गई. ऐसे में कार्यसमिति की बैठक में मंथन से कोई हल तो बीजेपी नहीं तलाश सकी, लेकिन आंकड़ों की बाजीगरी से हार पर परदा डालने की कोशिश दिखी. ऐसे में बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं का मनोबल बढ़ा दिया है, जिसके चलते शीर्ष नेताओं के बीच तलवारें खिंच गई हैं.

    डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि कहा कि संगठन, सरकार से ऊपर होता है. कोई व्यक्ति या सरकार संगठन से बड़ा नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि बड़े पेड़ की टहनी से जब कुल्हाड़ी बनती है तभी वो पेड़ काटा जा सकता है. उन्होंने कार्यकर्ताओं की समस्याओं का जिक्र किया और कहा कि जो दर्द आपका (कार्यकर्ता) है, वही दर्द हमारा भी है. केशव मौर्य ने कार्यकर्ताओं के मन की बात पर तालियां तो खूब बटोरीं, लेकिन उनका संबोधन कई सवाल भी छोड़ गया.

    केशव प्रसाद मौर्य ने करीब दो साल बाद एक बार फिर संगठन को सरकार से बड़ा बताया है. व्यावहारिक तौर पर तो केशव का बयान सही है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में इस बयान ने असंतुष्टों के लिए मुखर होने का मौका दे दिया है. बीजेपी नेता ही नहीं बल्कि सहयोगी दल के नेताओं ने भी सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.

    निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने सोमवार सुबह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से उनके आवास पर मुलाकात की. संजय निषाद ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है. जनता सुख चाहती है, सुख सरकार से मिलता है. सरकार संगठन की शक्ति से ही बनती है, इसलिए यह कहना गलत नहीं कि संगठन सर्वोपरि है. साथ ही उन्होंने कहा कि नौकरशाही सरकार के करीबी बनकर पेट में पंजा, साइकिल व हाथी रखते हैं. इसी का परिणाम लोकसभा चुनाव में अयोध्या और कुछ अन्य जगहों पर भी देखने को मिला है.


    आरक्षण के मुद्दे पर संजय निषाद ने कहा कि नौकरशाहों की देन है कि आज भी यह मामला उलझा पड़ा है और निषाद समाज के लोगों को आरक्षण नहीं मिल पा रहा है. योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर भी सवाल खड़े करते हुए संजय निषाद ने कहा कि गरीबों पर आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे, तो वे वोट देंगे क्या? इस तरह से संजय निषाद ने नौकरशाही से लेकर बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े करके सीधे अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

    संजय निषाद से पहले अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी सवाल खड़े कर चुकी हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा था कि प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में ओबीसी, दलित और आदिवासी के अभ्यर्थियों को यह कहकर छांट दिया जाता है कि वह योग्य नहीं हैं और बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान अनुप्रिया पटेल ने कहा था कि मोदी सरकार ने ओबीसी के मुद्दों को हल किया, लेकिन योगी सरकार नाकाम रही है. अब अनुप्रिया पटेल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि उत्तर प्रदेश की जमीनी स्थिति को आंकने में बीजेपी के नेता नाकाम साबित हुए.

    पूर्व कैबिनेट मंत्री और प्रतापगढ़ के भाजपा नेता मोती सिंह ने कहा कि ऐसा भ्रष्टाचार मैंने 42 साल के राजनीतिक जीवन में कभी नहीं देखा. थानों में ऐसा भ्रष्टाचार न सोच सकते थे, न देख सकते थे. यह वाकई अकल्पनीय है. इस बयान के अगले दिन ही एक वीडियो सामने आया, जिसमें जौनपुर जिले की बदलापुर सीट से भाजपा विधायक रमेश मिश्रा कहते नजर आए कि पार्टी मौजूदा समय में बहुत कमजोर स्थिति में है. अगर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते बड़े निर्णय नहीं लिए तो 2027 में सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा.

    बीजेपी कार्यसमिति की बैठक खत्म होने के दूसरे दिन सोमवार को बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने अधिकारियों की मंशा पर उंगली उठाते हुए पत्र लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ही सवाल पूछ लिया. उन्होंने कहा कि आखिर दिन प्रतिदिन आपकी सरकार की छवि क्यों खराब हो रही है. जब उत्तर प्रदेश के बाहर आपकी सरकार की तारीफ होती है तो फिर प्रदेश में कर्मचारी क्यों विरोध कर रहे हैं? इस तरह से बीजेपी नेताओं से लेकर सहयोगी तक सवाल खड़े कर रहे हैं.

    लोकसभा चुनाव के बाद केशव प्रसाद मौर्य यूपी सरकार की बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं. केशव मौर्य दो बार कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं हुए.पिछले दिनों सीएम योगी की ओर से पौधारोपण अभियान को लेकर बैठक की थी, जिसमें भी केशव नहीं पहुंचे थे. केशव एक तरफ सरकारी बैठकों से भले ही दूरी बनाए हुए हैं, लेकिन दूसरी तरफ लखनऊ से लेकर दिल्ली तक में पार्टी के नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं.

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