img-fluid

कोयले की किल्‍लत नहीं, खराब प्रबन्‍धन से पैदा हुआ बिजली संकट

May 15, 2022

– निशान्त

भारत इस वक्‍त ग्‍लोबल वार्मिंग की जबर्दस्‍त मार सहने को मजबूर है। भीषण गर्मी के कारण तापमान बढ़ने से बिजली की खपत में वृद्धि के फलस्‍वरूप देश के विभिन्‍न राज्‍यों में बिजली संकट भी उत्‍पन्‍न हो गया है। इसे कोयले की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली का संकट कोयले की कमी से नहीं बल्कि खराब प्रबधंन के कारण उत्‍पन्‍न हुआ है।

बढ़ते जलवायु प्रेरित जोखिमों के बीच कोयले की पहेली को समझने के लिये मंगलवार को एक वेबिनार का आयोजन किया। इसमें विशेषज्ञों ने कोरोना महामारी के झटके के बाद भीषण गर्मी में उत्‍पन्‍न बिजली संकट के लिये पर्याप्‍त योजना की कमी को जिम्‍मेदार ठहराया और कहा कि ऐसे में अक्षय ऊर्जा को अंतिम और वास्तविक समाधान मानकर उसमें और ज्यादा निवेश करने का इससे बेहतर वक्त और कोई नहीं हो सकता। भारत के ऊर्जा मिश्रण को अत्यधिक विविधतापूर्ण बनाने की जरूरत है। उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत में इस वक्त पर्याप्त ऊर्जा उत्पादन क्षमता मौजूद है और अब किसी नए कोयला बिजली घर की कोई जरूरत नहीं है।

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) में विश्लेषक श्री सुनील दहिया ने कहा, “मौजूदा बिजली संकट से निपटने में अभी कुछ समय लगेगा। भारत में यह कोई नई स्थिति नहीं है। पिछले पांच वर्षों के दौरान ऐसे हालात बार-बार पैदा होते रहे हैं। पानी की कमी बिजली के संकट का एक बहुत प्रमुख कारण है। इस वक्‍त हम यह भी देख रहे हैं कि कोयले को बिजलीघरों तक पहुंचाने की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से भी बिजली संकट बहुत बढ़ गया है। जब तक हम इसे सुव्यवस्थित तरीके से एड्रेस नहीं करेंगे तब तक हालात नहीं बदलेंगे।’’

उन्‍होंने कहा ‘‘भारत में कोयले का वर्तमान संकट योजना, स्टॉक प्रबंधन और अन्‍य पक्षों की सम्‍बन्धित नाकामी का नतीजा है। हो सकता है कि बिजली संकट को कोयला क्षेत्र में और अधिक निवेश के तर्क के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। मगर इससे आगे चलकर हालात और भी खराब हो जाएंगे। कोयला संकट पूरी तरह से लापरवाही का नतीजा है। सच्‍चाई यह है कि कोयले की कोई किल्लत नहीं है, बस उसे बिजलीघरों तक ले जाने की व्‍यवस्‍था ही नाकाफी है। अब अतिरिक्त कोयला उत्पादन की कोई आवश्यकता नहीं है। भारत में इस वक्त पर्याप्त ऊर्जा उत्पादन क्षमता मौजूद है और अब किसी नए कोयला बिजली घर की कोई जरूरत नहीं है। वास्‍तविक ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए अक्षय ऊर्जा रूपांतरण में तेजी लाने का यही सही समय है।”

लीड इंडिया इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस में एनर्जी इकोनॉमिक्स विभूति गर्ग ने कहा “देश में बिजली संकट को देखते हुए सरकार फौरी कदमों के तहत कोयला उत्पादन बढ़ाएगी और कोयले का आयात इत्यादि करेगी। मगर हकीकत यह है कि यह स्थिति कोयले की किल्लत से नहीं बल्कि योजना में कमी की वजह से उत्‍पन्‍न हुई है। पिछली 29 अप्रैल को देश में बिजली की शीर्ष मांग अब तक के सर्वाधिक 207 गीगावॉट तक पहुंच गई। हमें इसे ज्यादा से ज्यादा कोयला खदान बढ़ाने के अवसर के तौर पर नहीं देखना चाहिए। भारत में बिजली की मांग साल दर साल बढ़ेगी ही। ऐसे में सरकार को अक्षय ऊर्जा पर ज्यादा से ज्यादा निवेश करना चाहिए। सरकार को इलेक्ट्रोलाइजर और बैटरी के उत्पादन पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए। आगामी तीन साल के लिए इंतजाम करने से बेहतर है कि हम ऊर्जा रूपांतरण पर ज्यादा ध्यान दें।’’

क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला- “वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि धरती की ऊपरी सतह का तापमान औद्योगिक युग से पूर्व के स्तरों के सापेक्ष 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। ज्यादा गर्मी पड़ने और उसकी वजह से बिजली की मांग बढ़ने के कारण ऊर्जा संकट उत्पन्न हुआ है। कोयला संकट, दरअसल कोयले के परिवहन और ऊर्जा के ट्रांसमिशन से संबंधित खराब योजना के कारण हुआ है। यहां ना तो कोयले की किल्लत है और ना ही ऊर्जा क्षमता की कमी। वैसे तो इस मौके को कोयला आधारित बिजली से छुटकारा पाने का अवसर बनाया जाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पास बिजली की फौरी जरूरत को पूरा करने के लिए कोयले के इस्तेमाल के सिवा और कोई चारा नहीं है। सौर और वायु बिजली के उत्पादन को और बढ़ाने का यही सही समय है ताकि हम धरती के तेजी से गर्म होने की स्थिति से निपटने के लिए तैयार हो सकें।”

उन्‍होंने कहा ‘‘कोयला आयात को लेकर संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया कोयला खदानों की नीलामी, पुरानी खदानों को दोबारा खोले जाने और पुराने थर्मल पावर प्लांट्स को फिर से संचालित करने साथ ही 650 से अधिक पैसेंजर ट्रेनों को करीब 1 महीने तक के लिए रोके जाने से पता चलता है कि संकट कितना गहरा और चिंताजनक है। जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे ज्यादा जोखिम वाला और विकास संबंधी प्राथमिकताओं वाला क्षेत्र होने के नाते भारत इस वक्त चिंताजनक हालात से गुजर रहा है। हालांकि उसने अक्षय ऊर्जा से संबंधित महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं।’’

आई फॉरेस्‍ट के जस्‍ट ट्रांजिशन विभाग की निदेशक श्रेष्ठा बनर्जी ने एनेर्जी ट्रांज़िशन से जुड़े एक अलग पहलू का जिक्र करते हुए कहा ‘‘हमारे पास वर्ष 2030 तक की जरूरत पूरी करने के लिए कोयला उत्पादन की पर्याप्त स्‍वीकृतियां मौजूद है। सवाल यह है कि हम ऊर्जा की आपूर्ति के संकट से कैसे निपटें। अगले 10 वर्षों के दौरान कोयले की मांग चरम पर पहुंच जाने में कोई संदेह नहीं है। कोयला रूपांतरण एक बिल्कुल अलग चीज है। अगर हमें 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करना है तो हमें कोयले की खपत को 2040 तक कम से कम 50% तक कम करना होगा। जहां तक ऊर्जा रूपांतरण का सवाल है तो हमें कोयला क्षेत्र में काम कर रहे बड़ी संख्या में लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए ही कदम आगे बढ़ाने चाहिए। मैं नहीं मानती कि अक्षय ऊर्जा कोयला आधारित बिजली का पूरी तरह से स्थान ले सकती है।’’

उन्‍होंने कहा ‘‘अगर आपको रूपांतरण करना है तो आपको निरंतर निवेश लाना होगा। छत्तीसगढ़, उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य में कोयले का उत्पादन होता है और वहां अक्षय ऊर्जा पर निवेश नहीं हो रहा है क्योंकि उन्हें अपने कामगारों को उस हिसाब से प्रशिक्षित करना होगा। अगर आपने आज ऊर्जा रूपांतरण की योजना नहीं बनाई तो आप भविष्य में ज्यादा बड़ी आफत में पड़ जाएंगे। अगर हम जलवायु संकट और नेट जीरो के लक्ष्य के प्रति वाकई गंभीर हैं और अचानक विभिन्न कारणों से कोयला खदानों को बंद करना शुरू कर देंगे तो उस विशाल श्रम शक्ति का क्या होगा जिसकी रोजीरोटी इन खदानों पर टिकी है।’’

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवॉयरमेंट एण्‍ड वॉटर (सीईईडब्‍ल्‍यू) में फेलो वैभव चतुर्वेदी ने देश में कोयले से सम्‍बन्धित संकट के पूर्वानुमान की कोई सटीक व्‍यवस्‍था नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा ‘‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस नई तरह की अनिश्चितताओं के लिए हमारी योजना की प्रक्रिया क्या है। फिलहाल मैं देश में ऐसा कोई मॉडल नहीं देख पा रहा हूं। सरकार ऐसी कोई विश्‍लेषणात्‍मक इकाई तैयार करेगी, इसकी उम्‍मीद नहीं की जानी चाहिये। हम ऊर्जा रूपांतरण को किस तरह से करेंगे, इसके लिए कोई ठोस अनुमान या योजना का अभाव नजर आता है। हमारे पास कोई संचालनात्मक योजना नहीं है।’’

Share:

भारत ने रचा इतिहास. 73 साल बाद थॉमस कप के फाइनल में बनाई जगह

Sun May 15 , 2022
बैंकॉक। भारतीय पुरुष बैडमिंटन टीम (Indian men’s badminton team) ने ऐतिहासिक प्रदर्शन (historical performance) करते हुए प्रतिष्ठित थॉमस कप (coveted thomas cup) के फाइनल में प्रवेश कर लिया है। शुक्रवार को खेले गए एक कठिन सेमीफाइनल मैच में भारत (India) ने डेनमार्क (Denmark) को 3-2 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। शक्तिशाली डेनमार्क के खिलाफ […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
गुरुवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved