नई दिल्ली. दिल्ली शराब घोटाला केस (Delhi liquor scam case) में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद हैं. अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका (Bail plea) पर आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में CBI ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया. सीबीआई ने अपने हलफनामे में अरविंद केजरीवाल की जमानत का विरोध किया और कहा कि जज साहब उन्हें जमानत न दें. दिल्ली के मुख्यमंत्री ही शराब कांड के किंगपिन (Kingpin) हैं. अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि एक मामले में हमने जवाब दाखिल कर दिया, दूसरे के लिए समय चाहिए. हालांकि, सिंघवी ने इसका विरोध किया. मगर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी की बात नहीं मानी और सीबीआई को वक्त दे दिया. अब इस मामले की सुनवाई 5 सितंबर को सुनवाई होगी.
दरअसल, सुनवाई से पहले सीबीआई ने अपने हलफनामे में अरविंद केजरीवाल को जमानत दिए जाने का विरोध किया. अपने जवाब में सीबीआई ने कहा कि अरविंद केजरीवाल इस घोटाले के किंगपिन हैं. बिना आबकारी विभाग के मंत्री रहते हुए भी अरविंद केजरीवाल पूरे शराब घोटाले के वास्तुकार हैं. उनको इस घोटाले का सब कुछ पता था क्योंकि सारे निर्णय इनकी सहमति और निर्देशन में ही हुए. अरविंद केजरीवाल जांच एजेंसी के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं.
सीबीआई ने आगे कहा कि वो अदालत के समक्ष मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे है. बता दें कि हाईकोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह नहीं कहा जा सकता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी बिना किसी उचित कारण के थी या अवैध थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने और हिरासत में भेजने की अनुमति को उचित ठहराया था, जिसके लिए प्रक्रिया का विधिवत पालन किया गया.
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि अरविंद केजरीवाल का प्रभाव और दबदबा स्पष्ट है और मुख्यमंत्री होने के नाते वह न केवल दिल्ली की सरकार पर प्रभाव रखते हैं बल्कि आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी वो काफी प्रभावशाली हैं. साथ ही अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ उनकी घनिष्ठ सांठगांठ हैं. हिरासत में पूछताछ के दौरान अरविंद केजरीवाल का सामना संवेदनशील दस्तावेजों और मामले के गवाहों के बयानों से भी कराया गया. जहां तक याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी का सवाल है, कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. इसके अलावा, प्रत्येक मामले के तथ्य और परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं. अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत की गई है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने से निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, जो अभी प्रारंभिक चरण में है, जबकि प्रमुख गवाहों को अभी गवाही देनी है. जहां तक मेडिकल ग्राऊंड पर अंतरिम जमानत के दावे का सवाल है तो बीमारियों के संबंध में जेल नियमों और मैनुअल के अनुसार तिहाड़ जेल अस्पताल या उसके किसी भी रेफरल अस्पताल में उपचार किया जा सकता है. याचिकाकर्ता द्वारा मेडिकल जमानत पर रिहा किए जाने का कोई मामला नहीं बनता है, जिसे केवल तभी दिया जाना चाहिए जब जेल में इलाज संभव न हो.
बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को सीबीआई को नोटिस जारी किया था और अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर जवाब मांगा था. इसी वजह से सीबीआई ने आज अपना जवाब दिया है और कई आरोप लगाए हैं. बता दें कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब केस से जुड़े ईडी मामले में जमानत मिल चुकी है, बस उन्हें सीबीआई मामले में जमानत का इंतजार है.
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