पटना। राजद की समीक्षा बैठक में तेजस्वी यादव ने स्पष्ट कर दिया कि चुनाव में सामने वाले दुश्मनों से नहीं, बल्कि अपने ही आस्तीन के सांप से हमारी हार हुई है। उन्होंने हार का कारण भितरघात बताया है। बैठक में आए पार्टी नेताओं से स्पष्ट कह दिया कि माइंड क्लियर करिए। जिन्हें चुनाव लड़ना है, वे पार्टी पदाधिकारी न बनें। हमने सबके बारे में रिपोर्ट तैयार की है। लालू जी के सामने हमने सभी की रिपोर्ट रख दी है।
तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने मुझे पूरी छूट दी है कि जो करना है कीजिए। यदि आप सोच रहे हैं कि वर्ष 2020 का चुनाव खत्म हो गया तो आप भूल में हैं। हो सकता है कि 2021 में फिर से चुनाव हो जाये। आप तैयार रहिए, कभी भी चुनाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि अब पार्टी परंपरा में बदलाव की जरूरत है। पुरानी परंपरा से पार्टी का भला नहीं होगा। पिछली बार संगठन में हमने फेर-बदल की। संगठन में आरक्षण दिया। समीक्षा के बाद भारी फेरबदल की जरूरत होगी। तेजस्वी ने कहा कि सबको चुनाव लड़ना होता है, यह स्वाभाविक भी है। लेकिन एक सीट पर एक ही उम्मीदवार चुनाव लड़ सकता है। हमने पूरे समीकरण के साथ, फीडबैक लेकर उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन पार्टी जब तय कर देती है तो भितरघात नहीं करना चाहिए। इससे किसी को फायदा नहीं होने वाला है। पूछा कि नुकसान किसको हुआ। यदि सरकार बनती तो विधायक बनाता, मंत्री बनाता, कार्यकर्ता हैं तो 20 सूत्री में जाता, समिति बोर्ड में जाता। इससे पार्टी को नुकसान हुआ है।
तेजस्वी ने समीक्षा बैठक में कहा कि लालू यादव की गैरमौजूदगी में मजबूती से हमने चुनाव लड़ा। किसी को उम्मीद नहीं थी कि हम मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। चाहे जितना भी छल-कपट हुआ हो, हमने बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सामने के दुश्मन से लड़ सकते हैं, लेकिन भितरघात से नहीं लड़ा जा सकता है। उन्होंने हार का ठीकरा महागठबंधन पर नहीं फोड़ा। स्पष्ट कहा कि हमारे साथ लेफ्ट और कांग्रेस भी थी। कुछ सीटें गठबंधन में इधर-उधर हो जाती हैं। सबकी कोशिश होती है ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते। कुछ सीटों पर हम बेहतर कर सकते थे, वहां हमें निराशा हाथ लगी। हम मुद्दों पर चुनाव लड़े, हमें जनता ने अपना समर्थन दिया है।
सिद्दीकी ने हार का ठीकरा पोलिंग एजेंट पर फोड़ा
हार पर चल रहे मंथन के बीच राजद के दिग्गज नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने हार का कारण बता दिया। सिद्दीकी ने हार का ठीकरा पार्टी के पोलिंग एजेंट पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय पार्टी ने सभी उम्मीदवारों को बताया था कि कैसे चुनाव लड़ा जाए और क्या-क्या सावधानी रखनी है। उन्होंने कहा कि हार-जीत का अंतर 10 से 20 हजार बताया जा रहा है। यह अन्तर मॉक पोल के नतीजों पर निर्भर था। हमारे पास प्रमाण है कि पार्टी के पोलिंग एजेंट समय पर मतदान केन्द्र नहीं पहुंचे थे, जिस वजह से कई गड़बड़ियां सामने आईं।
लिखित रूप में भी सलाह मांगी
बैठक में हारे और जीते दोनों प्रत्याशी आए हुए थे। सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं से लिखित रूप में भी सलाह मांगी गई है। बैठक में 23 दिसम्बर को बड़े पैमाने पर किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती मनाने का भी फैसला हुआ। सभी जिला मुख्यालयों में किसान गोष्ठी का आयोजन करना है।
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