धर्मशाला: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद (Tawang Indo-China Face Off) को लेकर समय-समय पर घटनाएं सामने आती रही हैं. हाल ही में तवांग सेक्टर की एलएसी (LAC of Tawang sector) पर भारतीय और चीनी सैनिकों (Indian and Chinese soldiers) के बीच यांग्तसे झड़प का मामला सामने आया है. जिसके बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनातनी की स्थिति पैदा हो गई. इस सीमा संघर्ष के बीच बौद्ध भिक्षु तो भारत को पसंद कर ही रहे हैं.
वहीं, अब तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) ने भी भारत को अपनी पंसदीदा जगह बताया है. बौद्ध गुरु दलाई लामा से तवांग गतिरोध के चलते चीन के लिए उनके संदेश के बारे में सवाल पूछा गया. उन्होंने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चीजें सुधर रही हैं. चीन, यूरोप, अफ्रीका और एशिया से अधिक लचीला देश है. लेकिन उनका चीन लौटने का कोई मतलब नहीं है. मैं भारत को पसंद करता हूं.
दलाई लामा ने कहा कि चीन लौटने का तो कोई मतलब ही नहीं है. मुझे भारत पसंद है. कांगड़ा – पंडित नेहरू (Pandit Nehru) की पसंदीदा जगह है. यह जगह ही मेरा स्थायी निवास है…
इस बीच देखा जाए तो तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा इन दिनों दिल्ली और बिहार के बोध गया दौरा पर जा रहे हैं. दलाईलामा अगले एक महीने के लिये मैकलोड़गंज से बाहर प्रवास पर रहेंगे. बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा पहले दिल्ली से सटे गुरुग्राम स्थित सलवान एजुकेशन ट्रस्ट स्कूल में कल शिरकत करेंगे. उसके बाद बिहार के बौध गया जाएंगे.
बौध गया के कालचक्र मैदान में शिक्षण देंगे. अपने अनुयायियों को बोधिचित्त पर टिप्पणी विषय पर भी शिक्षण देंगे. यहां 29 से लेकर 31 तक तीन दिवसीय शिक्षण होगा. हालांकि इससे पहले दलाईलामा का प्रवास शेड्यूल 25 दिसम्बर से तय था. आगामी 1 जनवरी 2023 को महाबोधि मंदिर में विशेष पूजा अर्चना करेंगे. नववर्ष पर केक काटकर देश विदेश में रह रहे अपने अनुयायियों को शांति का संदेश भी देंगे.
उधर, तवांग मठ के भिक्षु लामा येशी खावो (Lama Yeshi Khawo) ने भी भारतीय-चीन सेना के बीच हुई हाल की झड़प पर चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन को समझना होगा कि यह 1962 का नहीं बल्कि 2022 का मोदी सरकार का समय है. इस तरह की हरकतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) किसी को नहीं बख्शेंगे. हम मोदी सरकार और भारतीय सेना (Indian army) का समर्थन करते हैं. येसी खावो ने कहा कि चीन की सरकार (Chinese Government) हमेशा किसी भी देश की जमीन पर नजर रखती है और यह सरासर गलत है.
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