उज्जैन। शहर की जनता ने नई नगर सरकार के गठन के लिए भाजपा को फिर स्पष्ट बहुमत दे दिया है। अभी शहर में गलियों से लेकर हाईवे तक मवेशी विचरण करते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के नगर निगम में रहे पिछले दो बोर्ड में शहर को मवेशी मुक्त कराना प्राथमिकता के तौर पर रखा गया था। इस बार इसे प्राथमिकता में नहीं रखा गया है। धार्मिक नगरी उज्जैन प्राचीन होने के कारण यहाँ की बसावट शुरुआत से ही सघन रही है। पुराने शहर में महाकाल सहित अन्य प्रमुख देवस्थलों के आसपास सघन बस्तियाँ रही है। इन्हीं के बीच प्रमुख बाजार भी मौजूद हैं। ऐसे में आवागमन के लिए बढ़ती आबादी के साथ पुराने मार्ग अब संकरे होने लगे हैं। आबादी के साथ-साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ी है लेकिन उस हिसाब से यातायात व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। इधर शहर में शुरुआत से ही सड़कों पर मवेशियों के स्वच्छंद विचरण की समस्या रही है। नगर निगम चुनाव में पिछले 3 दशक से हर बार भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपना बोर्ड बनने पर शहर विकास में प्राथमिकता के तौर पर शहर को मवेशी मुक्त बनाने की बात को भी हमेशा आगे रखा है। नगर सरकार में भाजपा के पिछले दो बोर्ड में पूर्व महापौर रहे रामेश्वर अखंड और मीना जोनवाल ने भी शहर को मवेशी मुक्त करने के वादे को प्राथमिकता दी थी।
रामेश्वर अखंड ने तो शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सामने मंच से वादा किया था कि वे अपने कार्यकाल में शहर को आवारा मवेशियों से मुक्त कर देंगे। बाद में मीना जोनवाल ने भी इसे दोहराया था लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब फिर से शहर की जनता ने भाजपा के 37 पार्षद और महापौद पद के उम्मीदवार को बहुमत दिया है लेकिन इस बार भाजपा ने नगर सरकार में अपनी 3 प्राथमिकताओं में मवेशियों की समस्या को दूर करने के वादे से दूरी बना ली है। इधर पिछले डेढ़ दशक में शहर की सड़कों पर मवेशियों का विचरण लगातार बढ़ रहा है। शहर की गलियों से लेकर अब फोरलेन और हाइवे तक मवेशियों के झुंड विचरण करते दिख रहे हैं। हालांकि पिछले बोर्ड में महापौर मीना जोनवाल के कार्यकाल में चिंतामण जवासिया मार्ग पर कपिला गोशाला का निर्माण किया गया है। यहाँ 3 शेड बनाए गए हैं लेकिन मवेशियों को यहाँ रखने की क्षमता 700 के लगभग है। अभियान के 3-4 दिन में ही शहर से इतने मवेशी पकड़कर गोशाला भेज दिए जाते हैं और बाद में गोशाला फुल हो जाने का कहकर नगर निगम द्वारा मवेशी पकडऩे का अभियान रोक दिया जाता है। कुछ मवेशियों को पहले भी बाहर भेजा गया है लेकिन वहाँ की गोशालाएँ भी एक सीमा के बाद उज्जैन से भेजे गए मवेशी रखने में असमर्थता जाहिर कर देती है।
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