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‘टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’, कविता के सहारे देवेंद्र फडणवीस पर सामना में तंज

July 02, 2022


मुंबई: महाराष्ट्र की सत्ता से बाहर हो चुकी शिवसेना ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा, उपमुख्यमंत्री बनने वाले अचानक मुख्यमंत्री बन गए और हम काश मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा लगने वाले को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करना पड़ा. इतना ही नहीं शिवसेना ने अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता भी शेयर की है.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में फडणवीस पर तंज कसते हुए लिखा, इस ‘क्लाइमेक्स’ पर टिप्पणी, समीक्षा, परीक्षण की भरमार होने के दौरान ‘बड़ा मन’ और ‘पार्टी के प्रति निष्ठा का पालन’ ऐसा एक बचाव सामने आया. फडणवीस ने मन बड़ा करके मुख्यमंत्री के पद की बजाय उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया’, ऐसा तर्क भी दिया जा रहा है.

चाणक्य भी सिर पर हाथ रखकर बैठ गए
शिवसेना ने लिखा, महाराष्ट्र में अस्थिरता निर्माण करने के लिए जो राजनीतिक नौटंकी कराई जा रही है, उस नौटंकी के अभी और कितने भाग बाकी हैं, इस बारे में कोई भी दृढ़तापूर्वक कुछ नहीं कह सकता. घटनाक्रम ही इस तरह से घट रहे हैं या घटनाएं कराई जा रही हैं कि राजनीतिक पंडित, चाणक्य व पत्र पंडित भी सिर पर हाथ रखकर बैठ गए हैं.

स्ट्रोक-मास्टर स्ट्रोक ऐसे ड्रामों का प्रयोग प्रस्तुत किया गया. एक पर्दा गिरा कि दूसरा पर्दा ऊपर, ऐसी भी घटनाएं हुर्इं. इस पूरे राजनीतिक ड्रामे के सूत्र पर्दे के पीछे से चलाने वाली तथाकथित ‘महाशक्ति’ का पर्दाफाश भी बीच के दौर में हुआ. ऐसा लग रहा था कि अब तो ड्रामा खत्म होगा, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा.
वशिवसेना में बगावत कराकर महाराष्ट्र की सत्ता काबिज करना, यही इस ड्रामे का मुख्य उद्देश्य था. उसके अनुसार इसके पात्रों ने अपनी-अपनी भूमिका निभाई. सूरत, गुवाहाटी, सुप्रीम कोर्ट, गोवा, राजभवन और सबसे अंत में मंत्रालय आदि जगहों पर इसके अलग-अलग प्रयोग पेश किए गए.


शिवसेना ने अटल जी की कविता शेयर की.
‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता,
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता
लेकिन इन पंक्तियों से पहले इसी कविता में वाजपेयी कहते हैं-
हिमालय की चोटी पर पहुंच,
एवरेस्ट विजय की पताका फहरा,
कोई विजेता यदि ईर्ष्या से दग्ध,
अपने साथी से विश्वासघात करे
तो उसका क्या अपराध
इसलिए क्षम्य हो जाएगा कि
वह एवरेस्ट की ऊंचाई पर हुआ था?
नहीं, अपराध अपराध ही रहेगा
हिमालय की सारी धवलता
उस कालिमा को नहीं ढक सकती!’

सामना में आगे लिखा, ‘मन’ और ‘अपराध’ की व्याख्या व्यक्त करने वाले वाजपेयी युग का उनकी विचारधारा देश की राजनीति से कब की अस्त हो चुकी है. काले को सफेद और सफेद को काला बनाने वाला नया युग अब यहां अवतरित हुआ है. इसलिए छोटा मन और बड़ा मन की व्याख्या नए सिरे से कही जा रही है. करार के अनुरूप दिए गए वचन का पालन करने का ‘बड़ा मन’ भाजपा ने ढाई साल पहले ही दिखाया होता तो बचाव के नाम पर ‘बड़े मन’ की ढाल सामने लाने की नौबत इस पार्टी पर नहीं आई होती.

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