कोरोना का डर भी लगभग समाप्त, वैक्सीनेशन अभियान पड़ा ठंडा, कंपनियों ने भी घटा दी कीमतें, मगर लाखों डोज पड़े
इंदौर। जनता के दिलो-दिमाग से कोरोना (Corona) का डर लगभग खत्म हो गया है, तो दूसरी तरफ वैक्सीनेशन (Vaccination) में भी बहुत कम लोग रुचि दिखा रहे हैं। बच्चों (Children) का वैक्सीनेशन (Vaccination) भी गति नहीं पकड़ पा रहा, तो प्रिकॉशन डोज (Precaution Dose) से लेकर अन्य लोग भी अब वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। हालांकि इंदौर की वयस्क आबादी को तो दोनों डोज लग चुके हैं। मगर तीसरे बूस्टर डोज के लिए बहुत कम लोग सेंटर पहुंच रहे हैं। डेढ़ लाख से ज्यादा वैक्सीन (Vaccine) डोज का स्टॉक (Stock) जमा हो गया और थोड़े दिनों में ही ये वैक्सीन (Vaccine) खराब भी हो जाएगी।
अभी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में केन्द्र सरकार (Central Government) ने अपने हलफनामे में यह कह दिया कि वैक्सीन (Vaccine) लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं कर रहे हैं। यानी यह अनिवार्य नहीं है। हालांकि उसके पहले केन्द्र से लेकर राज्य शासन और स्थानीय प्रशासन ने वैक्सीन को हर जगह अनिवार्य किया और अभियान चलाकर सभी का वैक्सीनेशन (Vaccination) भी करवा दिया। हालांकि उसका फायदा भी मिला और कोरोना (Corona) की तीसरी लहर बिना कोई नुकसान पहुंचाए गुजर गई और अब चौथी लहर का भी इतना अधिक असर फिलहाल तो नजर नहीं आ रहा है। इंदौर में ही डेढ़ लाख से ज्यादा वैक्सीन के डोज स्वास्थ्य विभाग (Health Department) के पास पड़े हैं, जिनमें कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaccine) शामिल है। अभी प्रिकॉशन डोज भी सभी को लगाए जा रहे हैं, मगर उसमें भी लोग रुचि नहीं दिखा रहे। वहीं तीसरी लहर में ओमिक्रॉन वायरस ने अधिकांश लोगों को संक्रमित भी कर दिया था, जिसके चलते उनमें हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई, जो कि वैक्सीन से भी बेहतर मानी जाती है। यही कारण है कि अब शासन-प्रशासन का भी वैक्सीन लगवाने को लेकर कोई दबाव-प्रभाव नहीं है और लोगों में भी कोरोना (Corona) का डर लगभग समाप्त हो गया। तमाम भीड़ भरे आयोजन बिना मास्क या अन्य कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) के हो रहे हैं। वहीं निजी कम्पनियों ने भी वैक्सीन की कीमतें आधी से भी कम कर दी।
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