सिरोंज। रविवार को सिरोंज जिला बनाने को लेकर सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें सिरोंज क्षेत्र के अलावा लटेरी, आनंदपुर, मुगलसराय, कालादेव, कुरवाई, पठारी, मेहलुआ चौराहा, बमोरीसाला सहित विभिन्न क्षेत्र से जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन प्रमुख, राजनीतिक व बड़ी संख्या में इन क्षेत्रों से आए लोग शामिल हुए। ज्ञात हो कि सिरोंज, लटेरी व कुरवाई के लोगों को इंटरनेट के माध्यम से सूचना मिली थी कि खुरई को जिला बनाया जा रहा है। जिसके बाद इन तहसीलों के लोगों ने अपने-अपने तहसील मुख्यालय पर बैठक कर यह निर्णय लिया था कि 6 नवंबर रविवार को सामूहिक बैठक सिरोंज में की जाएगी जिसके बाद इस बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने सिरोंज जिला बनाने को लेकर अपने-अपने वक्तव्य दिए। ज्ञात हो कि सिरोंज को जिला बनाने की मांग 1983 सें लगातार की जा रही है। इस दौरान आमरण अनशन, हस्ताक्षर अभियान, नगरबंद, आदि आंदोलन समय समय पर किए गए। लेकिन क्षेत्र की आम जनता का यह सपना 39 वर्ष बाद भी साकार नही हो सका। इसी को ध्यान में रखते हुए सिरोंज जिला बनाओं अभियान समिति के द्वारा इस बड़ी बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें सर्वप्रथम समिति के महामंत्री एडवोकेट कपिल त्यागी ने संगठन द्वारा किए गए आंदोलन व संघर्ष की भूमिका के बारे में सभी को अवगत कराया एवं किस तरीके से आगे अभियान को चलाना है, आगे क्या कार्य करना है इस पर लोगों की राय जानी एवं बिंदुवार चर्चा की।
लेकिन माहौल तो तब बदल गया जब वक्तव्य देने का आव्हान कुरवाई विधायक हरिसिंह सप्रे का किया गया उन्होंने अपने वक्तव्य में जो बात कही उसके बाद तालियों की गडग़ड़ाहट से सारा परिसर गुंजायमान हो गया। भारत माता की जय घोष के बाद उन्होंने कहा कि सिरोंज जिला बनेगा कोई माई का लाल सिरोंज को जिला बनने से नहीं रोक सकता। और ना ही हमें आंदोलन की आवश्यकता पड़ेगी। क्योंकि मध्य प्रदेश के मुखिया बहुत ही सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी हैं। और यदि आप लोग चलना चाहे तो 11 लोगों का प्रतिनिधिमंडल मेरे साथ मुख्यमंत्री जी से मिलने के लिए चल सकता है। जहां हम अपनी बात प्रदेश के मुखिया के समक्ष रखेंगे। इसके बाद यदि आपको लगता है तो आप आगे के रास्ते अपनाएं अन्यथा मुझे पक्का विश्वास है कि मुख्यमंत्री जी हमारी बात को नहीं टालेंगे। इसके बाद अन्य लोगों ने भी बैठक में अपने अपने विचार साझा किए। इस दौरान एडवोकेट अवधनारायण श्रीवास्तव, व्यापार संघ के अध्यक्ष पदम ताम्रकार, पूर्व आईएएस अधिकारी सभाजीत यादव, पूर्व विदिशा एडीएम रह चुके आईएएस आर.बी. प्रजापति पूर्व जिला न्यायाधीश एन एस मीणा, पूर्व जिला जिला उपाध्यक्ष राम मोहन पाराशर, गगनेंद्र रघुवंशी, सुरेश यादव, अशोक यादव, केसर खांन, राजीव जैन पत्रकार, नरेंद्र पाटीदार, अरविंद रघुवंशी, अंकित साहू, देवकीनंदन शर्मा, सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
टोंक रियासत में जिला था सिरोंज –
आजादी के पूर्व प्राचीनकाल में व्यापारिक नगर सिरोंज मलमल के वस्त्र बनाने में पूरे देश भर में प्रसिद्घ था। शहर में सिक्के ढलने की टकसाल रही है। इसके बाद यह चंदेरी रियासत में शामिल रहा है। शहर महाराज छत्रपाल के अलावा अन्य शासन काल में हॉलकर राज्य का जिला रहा है। होलकर राज्य की रानी अहिल्या देवी द्वारा निर्मित नीलकंठ मंदिर आज भी यहां प्रसिद्घ है। इसके बाद अंग्रेजों से समझौता के तहत रियासत टोंक में सिरोंज 1949 तक जिला रहा। रियासत टोंक को आजादी के बाद राजस्थान राज्य में विलीन होने पर सिरोंज को जिले का दर्जा समाप्त कर राजस्थान के जिला कोटा में अनुविभाग बना दिया गया। इसके बाद शहर में हमेशा आईएएस अधिकारी नियुक्त होते रहते है। 1नबंम्बर 1996 मध्यप्रदेश राज्य के गठन में राजस्थान के कोटा जिले से प्रथक कर मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में शामिल कर इसकों अनुविभाग बना लिया गया। जिसमें सिरोंज एवं लटेरी दो तहसीले शमिल रही।
इस बार सिरोंज जिला जरूर बनेगा –
कपिल त्यागी ने दस्तावेज दिखाते हुए बताया कि 1983 में मध्यप्रेदश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने जिला सीमा पुर्नगठन आयोग बनाया। और आयोग द्वारा नवीन जिला बनाने सुझाव मांगे गए। तब नगरवासियों ने 20 दिसंबर 1983 को बैठक कर सिरोंज जिला बनाओ समिति गठित कर सिरोंज कों जिला बनाने, जिला पुर्नगठन आयोग को मांग पत्र सौंपा, भाजपा सरकार के तत्कालिन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा ने जिला पुर्नगठन आयोग की रिर्पोट पर 16 नवीन जिले बनाने का निर्णय लिया उस निर्णय को तकनीकी आधार पर हाईकोट में जनहित याचिका दायर की गई। इस पर हाईकोट ने स्टे लगा दी। हाईकोट का स्टे हटने पर 3 सितंबर 1992 को राजस्व विभाग भोपाल गजट नोटिफिकेशन के अनुसार मध्यप्रदेश के 16 नबीन जिले गठन करने की कार्रवाई प्रारंभ हुई। इन 16 जिलों में सिरोंज का नाम शामिल ना होने से सिरोंज वासियों ने सामूहिक रुप से सर्वदलीय सभा कर 22सितंबर 1992 को अध्यक्ष जिला पुर्नगठन आयोग को ज्ञापन सौंपकर दावा आपत्ति प्रस्तुत कर सिरोंज को जिला बनाने की मांग की थी।
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