नई दिल्ली। यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस के तेल निर्यात पर पाबंदियां जारी हैं, हालांकि, भारत इससे अप्रभावित रहा है। इस बीच, भारत यात्रा पर आईं अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने स्पष्ट किया है कि इंडिया रूस से जितना चाहे उतना तेल खरीद सकता है। अधिकतम तेल मूल्य की सीमा (price cap) से ऊपर वह रूसी तेल खरीद सकता है।
येलेन ने कहा कि यदि भारत व अन्य देश रूस से सौदेबाजी कर फायदा उठाते हैं तो अमेरिका को खुशी होगी। भारत चीन के अलावा रूस का सबसे बड़ा तेल ग्राहक है। जी-7 देश 5 दिसंबर से रूस के तेल का अधिकतम मूल्य तय करने वाले हैं। हालांकि, इसका अंतिम विवरण अभी आने वाला है।
येलेन ने कहा कि रूस तेल मूल्य की सौदेबाजी कर रहा है और हमें खुशी है कि भारत अफ्रीका या चीन सौदेबाजी के जरिए रूस से तेल खरीद रहे हैं। येलेन ने शुक्रवार को कहा कि भारत रूस से जितना चाहे उतना तेल खरीद सकता है। जी-7 की प्राइस कैप से अधिक पर भी वह तेल खरीद सकता है। प्राइस कैप से विश्व में तेल कीमतें घटेंगीं, वहीं रूस का राजस्व भी घटेगा।
भारत अमेरिका आर्थिक साझेदारी पर बैठक में भाग लेने नई दिल्ली आईं येलेन ने कहा कि प्राइस कैप के चलते रूस ज्यादा तेल बेचने में सक्षम नहीं होगा। रूस के लिए तेल निर्यात जारी रखना बहुत मुश्किल होगा। यूरोपीय संघ ने उससे तेल खरीदना बंद कर दिया है। ऐसे में रूस को चीन के अलावा खरीददार ढूंढना मुश्किल होगा।
येलेन ने स्पष्ट किया कि यदि भारत बीमा व अन्य पश्चिमी वित्तीय सेवाओं का उपयोग करना चाहता है तो उसे प्राइस कैप का पालन करना पड़ेगा। इससे उसे विश्व बाजार में छूट पाने का मौका मिलेगा। हमें उम्मीद है कि प्राइस कैप का भारत को फायदा मिलेगा।
जयशंकर ने कहा था भारत रूस से तेल खरीदी जारी रखेगा
अमेरिकी वित्त मंत्री येलेन की यह टिप्पणी भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के बयान के बाद आई है। जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनका देश रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि इससे भारत को लाभ होता है। हालांकि, येलेन के बयान पर वित्त और ऊर्जा मंत्रालय ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अन्य अधिकारियों ने कहा है कि प्राइस कैप को लेकर सतर्क हैं। ऐसा नहीं लगता है कि भारत प्राइस कैप का पालन करेगा। हमने दूसरे देशों को भी बता दिया है।
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