इंदौर। यह भारतीय वैक्सीन (Indian Vaccine) का चमत्कार है या तीसरी लहर में वायरस का असर कमजोर साबित हो रहा है, जिले में सोमवार तक करीब 14 हजार से ज्यादा कोरोना के मरीज हैं, मगर लगभग सभी के फेफड़े वायरस संक्रमण (lung virus infection) से सुरक्षित हैं। पॉजिटिव मरीजों के ऑक्सीजन सेचुरेशन (oxygen saturation) में कोई उतार-चढ़ाव नहीं है, न ही मरीजों को ऑक्सीजन लगाना पड़ रही है। निजी अस्पतालों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या बहुत ही कम, बल्कि न के बराबर है। शहर की निजी पैथालॉजी लैब्स (pathology labs) में फेफड़ों व चेस्ट का सीटी स्कैन कराने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है, जबकि दूसरी लहर के दौरान सीटी स्कैन (CT scan) कराने वाले मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता था। इतना ही नहीं, इस तीसरी लहर में दूसरी लहर के पॉजिटिव मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों की अपेक्षा बमुश्किल सिर्फ दस प्रतिशत दवाइयां ही दी जा रही हैं, क्योंकि पॉजिटिव मरीजों का लंग्स सिस्टम, यानी फेफड़े पूरी तरह महफूज हैं।
यही कारण है कि कोविड सेंटर हॉस्पिटल (covid center hospital) के 90 प्रतिशत से ज्यादा मेडिकल बेड्स और आईसीयू (ICU) खाली पड़े हैं। मेडिकल स्टोर्स पर पिछली बार की तरह दवा खरीदने वालों की न तो लाइन नजर आ रही है न ही मरीजों को महंगे व लंबे समय तक इलाज की जरूरत पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि दूसरी लहर के पॉजिटिव मरीजों को 24 घंटे में पावरफुल हाईडोज (powerful hides) वाली दवाइयां व जीवनरक्षक इंजेक्शन (lifesaving injection) दिए जाते थे, मगर इस बार पिछली बार की अपेक्षा सिर्फ 5 प्रतिशत दवाइयां दी जा रही हैं। जो दवाइयां दी जा रही हैं वह भी जनरल कैटेगरी की हैं।
घर बैठे इलाज से ही ठीक हो गए
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सोमवार को 8579 सैम्पल्स की जांच रिपोर्ट में से 2106 नए मरीज मिलने के बाद इंदौर जिले में आज की तारीख में लगभग 14 हजार 31 कोरोना पॉजिटिव (corona positive) हैं, मगर अब तक भर्ती मरीजों की संख्या 150 से भी कम है। इससे साबित होता है कि लगभग 95 प्रतिशत लोग होम आइसोलेट होकर इलाज करा रहे हैं। इस बार के पॉजिटिव मरीजों में संक्रमण नाक और गले तक ही सीमित है। इस बार इंफेक्शन पॉजिटिव मरीजों के फेफड़ों तक घुसपैठ नहीं कर पा रहा है। यदि कुछ मरीजों में लंग्स इंफेक्शन है भी तो न के बराबर है।
तीसरी लहर वाले मरीजों के फेफड़े सुरक्षित
श्वास रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉक्टर सलिल भार्गव ने बताया कि इस बार पॉजिटिव मरीजों में कोविड वायरस असर सिर्फ नाक व गले तक ही है। संक्रमण गले के नीचे नहीं उतर पा रहा है। यही कारण है कि तीसरी लहर में अभी तक हर रोज मिल रहे लगभग सभी मरीजों के फेफड़े सुरक्षित हैं, यानी इस बार फेफड़ों में कोई इंफेक्शन नहीं है। ऑक्सीजन सेचुरेशन मतलब ऑक्सीजन लेबल (oxygen label) भी बराबर बना हुआ है। उन्हें सांस लेने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही है। इस बार के मरीज 5 दिन में ठीक होते जा रहे हैं।
साधारण दवाइयों से ठीक हो रहे मरीज
मनोरमराजे टीबी अस्पताल (Manoraraje TB Hospital) कोविड सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि तीसरी लहर के दौरान पॉजिटिव मरीजों के इलाज में इस बार आइवरमेक्टीन, हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन, स्टेरॉइड्स, टॉसिलिजूमैब जैसी दवाइयों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा सीआरपी फेरिटिन, एलडीएच, चेस्ट सीटी स्कैन जैसी मेडिकल जांच की भी जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। अभी तक तीसरी लहर के दौरान दूसरी लहर की तरह गंभीर मरीज सामने नहीं आए हैं। कुछ आए भी हैं तो वे पहले से कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त थे।
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