नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि किसानों के करीब साल भर चले आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई की वजह से किसी किसान की मौत नहीं हुई। किसानों के विभिन्न संगठन केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। इन कानूनों को हाल ही में वापस ले लिया गया है। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को इस आंदोलन के समापन का एलान किया था।
आंदोलन को समाप्त करने का फैसला केंद्र सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों की लंबित मांगों को स्वीकार करने के बाद लिया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों के लिए मुआवजे का मुद्दा राज्यों से संबंधित है।
एक सवाल के लिखित उत्तर में तोमर ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसी भी किसान की मौत पुलिस की कार्रवाई की वजह से नहीं हुई। वह कांग्रेस नेता धीरज प्रसाद साहू और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह के संयुक्त प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। बता दें कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां इस आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का मामला लंबे समय से उठाते चले आ रहे हैं।
एमएसपी को लेकर समिति बनाने पर हो रहा विचार
वहीं, एमएसपी को लेकर तोमर ने कहा कि शून्य बजट की कृषि को प्रोत्साहन देने, देश की जरूरत के अनुसार फसलों के चक्र को बदलने और और एमएसपी को अधिक प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन पर विचार किया जा रहा है। केंद्र कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर 22 अनिवार्य फसलों और गन्ने के उचित लाभकारी मूल्य के लिए एमएसपी तय करता है।
नवंबर 2020 से शुरू हुआ था किसानों का आंदोलन
केंद्र की ओर से लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान नवंबर 2020 से राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। इन किसानों में मुख्यत: पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे। 29 नवंबर को संसद ने इन कानूनों की वापसी के लिए एक विधेयक पारित किया था। यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हुआ जिसके साथ 40 किसान संगठन जुड़े हैं।
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